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काफी देर तक छिपे रहे सूर्य बादलों में,पंचांग के अनुसार घड़ी देखकर सुबह 6:09 के बाद छठ व्रतियों ने बादलों में छिपे भगवान सूर्य को दिया अर्घ्य
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर और उसके आसपास के क्षेत्रों में इस वर्ष भी छठ महापर्व का आयोजन धूमधाम से किया गया। विशेष रूप से शहर के अरपा नदी के किनारे स्थित कुदुदंडघाट, कोनी घाट, त्रिपुर सुंदरी घाट, व अन्य जलाशयों और तालाबों के किनारे लाखों श्रद्धालुओं ने अपनी आस्था को प्रकट किया।
36 घंटे का कठिन व्रत
छठ महापर्व के इस साल के आयोजन में व्रतियों ने 36 घंटे का कठिन व्रत पूरा किया, जिसमें दिनभर का उपवास, शाम के समय सूर्यास्त के समय संध्या अर्घ्य, और फिर उगते सूरज को प्रभात अर्घ्य देने का विशेष आयोजन शामिल था। व्रति परिवारिक समृद्धि और खुशहाली की कामना करते हुए, विशेष प्रकार से तैयार किए गए पकवानों, पूजा सामग्री और फल-फूलों के साथ घाटों पर पहुंचे।

घाटों पर श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
छठ महापर्व के अंतिम दिन सूर्योदय के साथ व्रतियों ने उगते सूर्य को तांबे के बर्तन में जल अर्पित कर अपनी श्रद्धा व्यक्त की। अरपा नदी, कुदंदघाट, कोनी घाट, और सुंदरि घाट पर अर्घ्य देने के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी थीं। सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रति और श्रद्धालु परिवार की सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य के लिए सूर्य देव से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासन की ओर से इंतजाम
पर्व के दौरान प्रशासन ने घाटों पर सुरक्षा की विशेष व्यवस्था की थी। पुलिस और आपातकालीन सेवाओं की टीम घाटों के आसपास तैनात थी, ताकि कोई अप्रिय घटना न हो। साथ ही, नगर निगम की टीम ने घाटों की सफाई और जलाशयों के आसपास उचित व्यवस्था का ध्यान रखा। इस समय में घाटों पर पूजा की सामग्री की उपलब्धता, जलाशयों की सफाई, और रास्तों की सुरक्षा को लेकर प्रशासन ने विशेष कदम उठाए थे।

समाज में छठ महापर्व का महत्व
छठ महापर्व का महत्व बिलासपुर और आसपास के ग्रामीण इलाकों में विशेष रूप से बहुत ज्यादा है। यह पर्व मुख्य रूप से सूर्य देवता की उपासना से जुड़ा हुआ है, जो कृषि और समाज के जीवन में अत्यधिक महत्वपूर्ण माने जाते हैं। छठ पूजा के दौरान महिलाएं व्रत रखकर संतान सुख, परिवार की समृद्धि, और स्वास्थ्य की कामना करती हैं। इस दिन श्रद्धालु सूर्योदय और सूर्यास्त के समय अपने परिवार की खुशहाली के लिए विशेष पूजा अर्चना करते हैं।
सांस्कृतिक कार्यक्रम और धार्मिक आयोजन
इस विशेष अवसर पर विभिन्न घाटों पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों और भक्ति गीतों का आयोजन भी किया गया। महिलाएं समूह में सामूहिक रूप से छठ गीत गाती रही, जिससे वातावरण में एक भक्ति का माहौल बना हुआ था। छठ महापर्व का आयोजन सामाजिक एकता और भाईचारे का प्रतीक भी है, जिसमें विभिन्न समुदाय के लोग एक साथ मिलकर पूजा अर्चना करते हैं और अपने रिश्तों को सशक्त बनाते हैं।
मूल्य और परंपराएं
छठ महापर्व छत्तीसगढ़ के ग्रामीण और शहरी दोनों ही इलाकों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व प्राकृतिक तत्वों की पूजा के साथ-साथ व्यक्ति की आस्था और नैतिकता का भी प्रतीक है। पूरे पर्व में संयम, साधना और शुद्धता का विशेष महत्व होता है। महिलाओं का इस पर्व में विशेष योगदान होता है, जो परिवार के लिए अच्छे स्वास्थ्य और खुशहाली की कामना करती हैं।

उगते सूरज का महत्व
उगते सूरज को अर्घ्य देने का विशेष धार्मिक महत्व है। इसे जीवन में नई शुरुआत और उजाले की कामना के रूप में देखा जाता है। सूरज की उपासना के जरिए लोग अपनी जीवन यात्रा में आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, ताकि उनका जीवन सुकून और समृद्धि से भरा रहे। छठ पूजा के इस खास मौके पर लोग सूर्य देव के प्रति अपनी श्रद्धा और समर्पण व्यक्त करते हैं, जो उन्हें जीवन की कठिनाइयों से उबारने में मदद करता है।

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में इस पर्व के दौरान श्रद्धालुओं ने बड़े श्रद्धा भाव से छठ महापर्व का पालन किया और उगते सूरज को अर्घ्य अर्पित कर सुख, समृद्धि और शांति की कामना की।