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चार दिवसीय 24-कुंडीय गायत्री महायज्ञ संपन्न

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अंतर्राष्ट्रीय गायत्री परिवार, शांतिकुंज, हरिद्वार के तत्वाधान में चार दिवसीय 24-कुंडीय गायत्री महायज्ञ का आयोजन पौंसरा में भव्य रूप से संपन्न हुआ। इस महायज्ञ को संचालित करने के लिए शांतिकुंज हरिद्वार से विशेष टोली का आगमन हुआ, जिसमें टोली नायक श्री नरेंद्र विद्यार्थी और सहयोगी डॉ. डी. पटेल, तपेश्वर सिंह, शिवम कुमार, और मृणाल पाल शामिल थे।


कार्यक्रम का विवरण:

  1. प्रथम दिवस (30 नवंबर 2024):
    • मंगल कलश यात्रा और सद्गुरु ज्ञानगंगा युक्त साहित्य (सद्ग्रंथ) शोभायात्रा का आयोजन हुआ।
  2. द्वितीय दिवस:
    • महायज्ञ का शुभारंभ।
    • विषय: “यज्ञ के ज्ञान-विज्ञान” और “नारियों जागो, अपने को पहचानो।”
    • विशेष उद्बोधन द्वारा सामाजिक जागरूकता का संदेश।
  3. तृतीय दिवस:
    • विषय:
      • “संस्कार परंपरा” और “अवतार परंपरा।”
      • “राष्ट्र समर्थ और सशक्त कैसे बने?”
    • गायत्री दीप महायज्ञ और नशा निवारण संकल्प।
  4. चतुर्थ दिवस:
    • महायज्ञ के समापन के साथ परम वंदनीया माता जी की जन्म शताब्दी पर विशेष उद्बोधन।
    • संदेश:
      • “सत्संग-भजन, उपासना-साधना निरंतर चलती रहनी चाहिए।”
      • “गृहे-गृहे गायत्री उपासना” का सूत्र, जिससे सत्य सनातन धर्म की संस्कृति का प्रचार-प्रसार हो सके।

विशेष संदेश:

श्री नरेंद्र विद्यार्थी ने कहा:

“प्राणवानों को महाकाल ने पुकारा है। इस पुकार को सुनकर हमें सत्य सनातन धर्म की धर्म ध्वजा गांव-गांव और घर-घर फहरानी है।”
कार्यक्रम ने सतयुगी वातावरण के निर्माण का आह्वान किया।


सहभागी और आयोजन समिति:

  • संयोजक:
    • श्री टी. पी. गौरहा, अमरनाथ श्रीवास, रजनीश सिंह बनाफर (पूर्व विधायक)।
  • गायत्री शक्तिपीठ:
    • हेमराज वैश्य (मुख्य ट्रस्टी), रामकुमार श्रीवास (उपजोन समन्वयक), नंदनी पाटनवार (जिला समन्वयक)।
  • विशेष सहभागी:
    • 24 कन्याएं: शारदा, रितु, दुर्गा, सिद्धि, राखी, मोनिका, सुधा आदि।
    • विद्यालय स्टाफ: सरस्वती शिशु मंदिर और मिडिल स्कूल के शिक्षक।
    • ग्रामवासी और अन्य सहयोगी: मनीष सिंह बनाफर, रमेश, धनीराम, राहुल यादव आदि।

आभार प्रदर्शन:

कार्यक्रम के अंत में ग्राम पौंसरा की ओर से पूर्व विधायक रजनीश सिंह और गायत्री परिवार संगठन की ओर से मुख्य ट्रस्टी हेमराज वैश्य ने आभार व्यक्त किया।

यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करने वाला सिद्ध हुआ, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक जागरूकता को बढ़ावा देने वाला भी रहा।


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