आध्यात्मिक नगरी रतनपुर के प्रसिद्ध श्री भैरव बाबा मंदिर में भैरव जयंती महोत्सव के अवसर पर मंगलवार को विश्व कल्याण के लिए महायज्ञ का आयोजन किया गया। देशभर से आए साधु-संतों ने यज्ञ में आहुति दी और पर्यावरण संरक्षण व विश्व शांति का संदेश दिया।
संतों ने वेदों में वर्णित जल, पृथ्वी, वायु, अग्नि, वनस्पति, और आकाश के प्रति श्रद्धा की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यदि लोग तत्वदर्शी ऋषियों के निर्देशों के अनुसार जीवन जिएं, तो पर्यावरण असंतुलन की समस्या ही उत्पन्न नहीं होगी।
मानवता की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म
महायज्ञ के मुख्य पुजारी पं. जागेश्वर अवस्थी ने कहा,
“पारमार्थिक प्रवृत्तियाँ जाग्रत होने पर व्यक्ति केवल मनुष्य नहीं रहता, वह एक संस्था या सिद्धांत बन जाता है। सेवा और निष्काम कर्म से ही मानवता का उत्थान और मोक्ष प्राप्त हो सकता है।”
उन्होंने बताया कि परमात्मा स्वयं प्रकृति के विभिन्न रूपों में सेवा कार्य में संलग्न हैं। धर्म के पथ पर चलते हुए जीवन में नियम, नीति, और सिद्धांत अपनाने से सुख स्वतः प्राप्त होता है।
समस्त प्राणियों की सेवा से ही विश्व कल्याण
प्रयागराज और जोधपुर अलखधाम आश्रम के महामंडलेश्वर श्री श्री 108 प्रदीप गिरी महाराज ने कहा,
“संतों का सदा से प्रयास रहा है कि लोगों का यह लोक और परलोक दोनों सुधरे। केवल मानवजाति नहीं, बल्कि समस्त जीव-जंतुओं की सेवा आवश्यक है। सेवा के माध्यम से ही संसार में स्थिरता और पर्यावरण संतुलन स्थापित किया जा सकता है।”
महोत्सव में कन्या पूजा और महाभंडारे का आयोजन
पूजन में पं. दिलीप दुबे, पं. महेश्वर पाण्डेय, पं. राजेंद्र दुबे, पं. कान्हा तिवारी, और आचार्य गिरधारी लाल पाण्डेय समेत अन्य विद्वानों का विशेष योगदान रहा।
भैरव जयंती के अवसर पर 151 कन्या पूजन, ब्राह्मण पूजा, और महाभंडारे का आयोजन किया जाएगा।
संरक्षण और संतुलन का संदेश
महायज्ञ के माध्यम से साधु-संतों ने संदेश दिया कि केवल मानवता की नहीं, बल्कि समस्त प्रकृति और जीव-जंतुओं के संरक्षण के प्रयास करने चाहिए। इससे ही संसार में शांति, स्थिरता, और पर्यावरण संतुलन संभव है।
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