छत्तीसगढ़ में नेशनल और स्टेट हाईवे को मवेशी मुक्त करने के लिए दायर याचिका पर सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। मुख्य सचिव ने इस संदर्भ में कार्ययोजना प्रस्तुत करते हुए नेशनल हाइवे प्राधिकरण (NHAI) से समन्वय स्थापित कर विशेष समिति बनाने की जानकारी दी।
कोर्ट के निर्देश
हाईकोर्ट ने राज्य शासन को अन्य राज्यों में इस मुद्दे पर अपनाई गई नीतियों का अध्ययन कर उन्हें प्रदेश में लागू करने का सुझाव दिया।
- समिति गठन: मवेशियों को सड़क पर विचरने से रोकने के लिए विशेष समिति बनाई गई है।
- अन्य राज्यों से सीख: कोर्ट ने कहा कि अन्य राज्यों द्वारा मवेशी रोकथाम के लिए अपनाई गई नीतियों का विश्लेषण करें और उन्हें रिपोर्ट में शामिल करें।
- विशेष आदेश: राज्य शासन को दिसंबर के पहले सप्ताह तक विशेष आदेश जारी करने का समय दिया गया है।
अगली सुनवाई
कोर्ट ने मुख्य सचिव को 16 दिसंबर 2024 को अद्यतन रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
पिछली सुनवाई की नाराजगी
पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने मवेशियों के कारण सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए स्पष्ट रोडमैप न बनने पर कड़ी नाराजगी जताई थी।
- छात्रों से आइडिया मांगने पर तंज: बिलासपुर कलेक्टर द्वारा छात्रों से सुझाव मांगे जाने पर कोर्ट ने कहा कि “बच्चों को पहले पढ़ाई करने दीजिए, वे पढ़कर साइंटिस्ट बन जाएं फिर आइडिया देंगे।”
- अधिकारियों पर सवाल: कोर्ट ने संबंधित विभागों से पूछा कि समस्या का समाधान क्यों नहीं हो पा रहा है।
याचिका और घटना का कारण
राजेश चिकारा व अन्य द्वारा दायर याचिका में बताया गया कि प्रदेश की सड़कों पर मवेशियों के जमावड़े के कारण दुर्घटनाएं लगातार हो रही हैं।
- दुर्घटनाओं की रोकथाम: कोर्ट ने इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए कारगर उपाय करने का निर्देश दिया है।
यह मामला प्रदेश में सड़क सुरक्षा और दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण दिशा में कदम बढ़ाने का संकेत है।
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