अगहन मास आरंभ: लक्ष्मी माता और शंख पूजा का विशेष महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार, पवित्र अगहन या मार्गशीर्ष मास की शुरुआत हो चुकी है। यह माह न केवल भगवान श्रीकृष्ण के प्रिय महीने के रूप में प्रसिद्ध है, बल्कि लक्ष्मी माता और शंख पूजा के लिए भी विशेष माना जाता है। अगहन मास 15 दिसंबर तक रहेगा और इसे व्रतों और धार्मिक अनुष्ठानों का माह कहा जाता है।

अगहन मास का महत्व

  • अगहन मास, जिसे मार्गशीर्ष भी कहा जाता है, मृगशिरा नक्षत्र से अपना नाम प्राप्त करता है।
  • भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं इसे अपना प्रिय महीना बताया है।
  • धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस माह में व्रत, स्नान, पूजा और दान करने से जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।
  • भक्तगण इस महीने में पवित्र नदियों में स्नान और भगवान विष्णु तथा श्रीकृष्ण की पूजा करते हैं।

व्रतों और त्योहारों की सूची

अगहन मास में कई महत्वपूर्ण व्रत और पर्व मनाए जाते हैं, जैसे:

  • अगहन गुरुवारी व्रत: धन, समृद्धि और सुख-शांति के लिए।
  • कालभैरव अष्टमी, विवाह पंचमी, गीता जयंती, प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि, उत्पन्ना एकादशी, और दत्तात्रेय जयंती
  • धनुर्मास का शुभारंभ, जिसमें भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है।

अगहन गुरुवार व्रत का महत्व

  • इस माह के हर गुरुवार को गुरुवारी व्रत रखा जाता है।
  • पहला गुरुवार व्रत 21 नवंबर से शुरू हो रहा है।
  • इस व्रत में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा से सुख-शांति और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
  • इस बार अगहन मास में कुल चार गुरुवार होंगे: 21 नवंबर, 28 नवंबर, 5 दिसंबर, और 12 दिसंबर

शंख और लक्ष्मी पूजा का महत्व

  • शंख को भगवान विष्णु का प्रतीक माना गया है। अगहन मास में शंख पूजा से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • विशेष रूप से गुरुवार को लक्ष्मी माता की पूजा से घर में धन, ऐश्वर्य और सुख-शांति आती है।
  • यह माह शंख और लक्ष्मी पूजा के माध्यम से सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि प्राप्त करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

अगहन मास के धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के साथ, यह समय व्रत, पूजा और दान के माध्यम से पुण्य अर्जित करने और जीवन में सुख-समृद्धि लाने का है।


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