देवउठनी एकादशी के बाद शहर में बैंड-बाजा, बारात की धूम मचेगी। 12 नवंबर को देवउठनी ग्यारस से विवाह की शुरुआत हो जाएगी। जून तक विवाह के 40 मुहूर्त हैं। देवउठनी ग्यारस विशेष योग में आ रही है। इस दिन बिना मुहूर्त के भी विवाह किए जा सकते हैं।
ज्योतिषाचार्य पं. जागेश्वर अवस्थी ने बताया, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देव प्रबोधिनी एकादशी या देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। धर्मशास्त्रीय मान्यता के अनुसार देव प्रबोधिनी एकादशी पर तुलसी शालिग्राम जी की विवाह की परंपरा है। इसी दिन से विवाह आदि शुभ मांगलिक कार्यों की शुरुआत भी मानी जाती है।
एकादशी तिथि 12 नवंबर को उत्तराभाद्र पद नक्षत्र में आ रही है। मंगलवार के दिन उत्तराभाद्र पद नक्षत्र होने से सर्वार्थ सिद्धि नाम का योग बनता है और मूर्ति चिंतामणि की गणना के अनुसार देखें तो तीनों ही उत्तरा अर्थात उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढा, उत्तराभाद्र पद उत्तरोत्तर प्रबल माने जाते हैं। इस दृष्टि से मंगलवार के दिन यह नक्षत्र होने से यह शुभकारी भी है।
सालभर में 40 से अधिक विवाह मुहूर्त
अवस्थी ने बताया कि 12 नवंबर मंगलवार से लेकर 2025 देवउठनी एकादशी तक विवाह के श्रेष्ठ मुहूर्त की संख्या 40 के आसपास हैं। शुद्ध मुहूर्त में विवाह का अनुकूल प्रतिशत प्राप्त होता है। इस दृष्टि से अपने चंद्र सूर्य बृहस्पति का बल देखकर विवाह के मुहूर्त निकलवाना चाहिए।
विवाह समेत वास्तु, देव प्रतिष्ठादि के मुहूर्त
पं. जागेश्वर अवस्थी ने बताया, धर्म शास्त्रीय मान्यता व पंचांग गणना के अनुसार ग्रहों की अनुकूलता तथा सूर्य के संचार के नियम आदि स्थितियां, साथ ही चातुर्मास का समापन होने के कारण देवउठनी एकादशी से विवाह और यज्ञोपवीत आदि शुभ कार्यों का मुहूर्त आरंभ हो जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार भी देखें तो भगवान शिव सृष्टि का भार पुन: भगवान विष्णु के हाथों में सौंप देते हैं। यही कारण है कि भगवान विष्णु की साक्षी विवाह कार्य के लिए विशेष तौर पर मानी जाती है। पौराणिक मान्यता में लक्ष्मी नारायण का अनुष्ठान या लक्ष्मी नारायण का वृतांत इस बात की पुष्टि करता है।
विवाह के शुभ मुहूर्त
नवंबर: 16, 22
दिसंबर: 03, 04, 14
जनवरी: 16, 17, 21, 22
फरवरी: 07, 13, 18, 20, 21, 23, 25
मार्च: 05, 06
अप्रैल: 14, 16, 18, 19, 20, 21, 25, 29, 30
मई: 05, 06, 07, 08, 13, 14, 17, 28
जून: 01, 02, 04, 07, 08
यज्ञोपवीत के मुहूर्त
जनवरी : 15, 16
फरवरी : 07, 14
अप्रैल : 02, 07, 09, 14, 18, 30
मई : 01, 07, 08, 28, 29
जून : 08
मुंडन संस्कार के मुहूर्त
जनवरी : 15, 20, 25, 31
फरवरी : 04, 10, 19, 22
अप्रेल : 14, 24
मई : 01, 03, 04, 15, 24, 25, 28, 31
जून : 07, 08
वास्तु शांति नूतन गृह प्रवेश के मुहूर्त
नवंबर : 25, 28
दिसंबर : 07
जनवरी : 22
फरवरी : 07
मार्च : 06
अप्रेल : 24
मई : 03, 08
जून : 07
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