संभाग के सबसे बड़े मल्टी-स्पेशलिटी अस्पताल अपोलो में आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज बंद कर दिए जाने पर स्थानीय विधायक सुशांत शुक्ला ने सख्त रुख अपनाया। उन्होंने अस्पताल प्रबंधन से मुलाकात कर स्थिति पर नाराजगी जाहिर की और स्पष्ट कहा कि यदि आयुष्मान योजना से इलाज शुरू नहीं होता, तो अस्पताल को शासकीय जमीन खाली करनी होगी।
आयुष्मान योजना के लाभ न मिलने से नाराजगी
आयुष्मान कार्डधारकों को इलाज न मिलने और डायलिसिस जैसी महत्वपूर्ण सेवाएं बंद होने की शिकायतों पर विधायक ने तुरंत हस्तक्षेप किया। उन्होंने कहा कि यदि अस्पताल शासकीय योजनाओं का लाभ जनता को नहीं देता, तो उसे शासकीय जमीन और सुविधाओं का उपयोग करने का अधिकार नहीं है।
अपोलो अस्पताल ने विधायक की नाराजगी के बाद आयुष्मान कार्ड से डायलिसिस सेवा पुनः शुरू करने पर सहमति जताई।
वित्तीय समस्या का हवाला
अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि 2019 से आयुष्मान योजना के तहत किए गए इलाज का फंड अस्पताल को नहीं मिला है, जिसके कारण योजना के तहत सेवाएं प्रदान करना संभव नहीं हो पाया।
विधायक ने इस पर आपत्ति जताई और कहा:
“आपने इस समस्या को प्रशासनिक या राजनीतिक स्तर पर उठाने का प्रयास क्यों नहीं किया? यह आपकी जिम्मेदारी थी कि आप समय रहते जनप्रतिनिधियों और शासन-प्रशासन को सूचित करते। इलाज रोकना समाधान नहीं है।”
शासकीय भूमि पर बना अस्पताल
अपोलो अस्पताल, जो बेलतरा विधानसभा के लिंगियाडीह गांव में शासकीय भूमि पर लीज़ पर संचालित हो रहा है, पर विधायक ने यह भी स्पष्ट किया कि शासकीय भूमि का उपयोग जनता की भलाई के लिए होना चाहिए। यदि अस्पताल जनहित के कार्यों में विफल रहता है, तो इसे जमीन खाली करनी होगी।
समाधान की दिशा में कदम
विधायक सुशांत शुक्ला ने प्रबंधन से कहा कि:
- मरीजों को तुरंत राहत देने के लिए आयुष्मान योजना से सेवाएं बहाल करें।
- वित्तीय समस्याओं का हल निकालने के लिए प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के साथ समन्वय करें।
- भविष्य में किसी भी समस्या पर समय रहते शासन-प्रशासन को अवगत कराएं।
आमजन के लिए राहत की उम्मीद
विधायक के हस्तक्षेप से अपोलो अस्पताल ने आयुष्मान कार्ड के तहत इलाज जारी रखने का आश्वासन दिया है। यह पहल न केवल मरीजों और उनके परिजनों के लिए राहत लेकर आएगी, बल्कि अस्पताल और प्रशासन के बीच समन्वय बढ़ाने का मार्ग भी प्रशस्त करेगी।
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