पीतांबरा पीठ: 1300 कन्याओं का पूजन, यज्ञ की पूर्णाहुति

सरकंडा स्थित श्री बगलामुखी देवी मंदिर में आयोजित पीतांबरा हवनात्मक महायज्ञ का भव्य समापन विधि-विधान से किया गया। यह अनुष्ठान 6 जुलाई से आरंभ हुआ था और पूर्णाहुति के साथ समाप्त हुआ। समापन के अवसर पर 1300 कन्याओं का विधिवत पूजन किया गया और उन्हें भोजन कराया गया। इस धार्मिक आयोजन में श्रद्धालुओं ने भारी संख्या में भाग लिया।

महायज्ञ की अगुवाई पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज ने की, और इसे वैदिक परंपराओं के अनुसार संपन्न किया गया। अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री महामंडलेश्वर श्री 1008 राधे राधे बाबा ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। उन्होंने कहा,

“महायज्ञ के माध्यम से मनुष्य को आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति प्राप्त होती है। यह अनुष्ठान न केवल जीवन को सकारात्मक बनाता है बल्कि समाज में समृद्धि और शांति का संचार करता है।”


धर्म और परंपराओं का संगम

इस महायज्ञ में देशभर से विद्वानों और संतों ने भाग लिया। बाबा बैद्यनाथ धाम से आए आचार्य गिरधारी वल्लभ झा और लाल बाबा ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ यज्ञ की पवित्रता को और अधिक बढ़ाया। उन्होंने कहा कि श्री बगलामुखी देवी की उपासना से धन, यश, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

पीठाधीश्वर डॉ. दिनेश जी ने जानकारी दी कि महायज्ञ में 36 लाख से अधिक आहुतियां समर्पित की गईं। यह यज्ञ पूरे देश और प्रदेश की खुशहाली, उन्नति, और सनातन धर्म की रक्षा के लिए समर्पित था।


मुख्य अतिथि और श्रद्धालु

समापन कार्यक्रम में कई प्रमुख हस्तियां और संत उपस्थित रहे:

  • महामंडलेश्वर स्वामी मनमोहनदास जी महाराज (इंदौर)
  • महंत स्वामी अनिल आनंद उदासीन (भोपाल)
  • केंद्रीय राज्यमंत्री तोखन साहू (सांसद, बिलासपुर)
  • महापौर रामशरण यादव
  • प्रदेश संगठन मंत्री (विश्व हिंदू परिषद) नंददास दंडोतिया
    इसके अलावा पं. संजय पांडेय, पं. दुर्गेश पांडेय, पं. नीतीश पांडेय, और पं. अश्वनी पांडेय ने वैदिक अनुष्ठानों में अपनी भूमिका निभाई।

धार्मिक महोत्सव का महत्व

इस विशेष आयोजन ने श्रद्धालुओं को न केवल आध्यात्मिक अनुभव प्रदान किया बल्कि समाज में धर्म और परंपरा की महत्ता को भी स्थापित किया। महायज्ञ के माध्यम से क्षेत्र में सकारात्मक ऊर्जा और श्रद्धा का संचार हुआ। श्री बगलामुखी देवी मंदिर एक बार फिर आस्था और धर्म का केंद्र बन गया।


यह आयोजन क्षेत्र के लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बना और सनातन परंपराओं को मजबूत करते हुए सामुदायिक एकता का संदेश दिया।


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