छत्तीसगढ़ प्रगतिशील लेखक संघ और इप्टा बिलासपुर के संयुक्त तत्वावधान में 16 और 17 नवंबर को आयोजित प्रसंग मुक्तिबोध का आज दूसरा दिन रहा। इस अवसर पर ‘मुक्तिबोध: इत्यादि जनों की पक्षधरता के कवि’ विषय पर विचार सत्र का आयोजन किया गया।
विचार सत्र की मुख्य बातें
- कार्यक्रम की अध्यक्षता:
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रख्यात साहित्यकार रणेंद्र ने की। - मुख्य वक्ता का संबोधन:
मुख्य वक्ता वीरेंद्र यादव ने अपने संबोधन में कहा कि मुक्तिबोध की रचनाएं भारतीय समाज की सामाजिक व्यवस्था पर गहरी चोट करती हैं। वह प्रखर मार्क्सवादी विचारक थे और उनकी रचनाओं में वर्गीय चिंतन की गूंज सुनाई देती है। - रणेंद्र का उद्बोधन:
रणेंद्र ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि मुक्तिबोध की रचनाएं गहरे बिंबों और गहन ज्ञानात्मक संवेदना से भरी हुई हैं। इन्हें एक बार में समझना आसान नहीं है, बल्कि इनकी गहराई में जाकर पढ़ने और समझने की आवश्यकता है।
सत्र के अन्य वक्ता
इस सत्र में वक्ता जयप्रकाश लोकबाबू और डॉ. मृदुला सिंह ने भी अपने विचार रखे। सत्र का संचालन रफीक खान ने किया।
मुक्तिबोध की रचनाओं पर प्रभावी पाठ
- आयोजन के अंतिम सत्र में चर्चा:
आयोजन के अंतिम सत्र में मुक्तिबोध की रचनाओं में फेंटेसी विषय पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई। - सत्र की अध्यक्षता:
इस सत्र की अध्यक्षता समालोचक जयप्रकाश ने की। - वक्ता के रूप में विचार:
इस सत्र में वक्ता के रूप में वेद प्रकाश अग्रवाल और विश्वासी एक्का ने विषयगत विचार प्रस्तुत किए। - सत्र की शुरुआत:
सत्र की शुरुआत में परमेश्वर वैष्णव ने मुक्तिबोध की रचनाओं का प्रभावी पाठ किया। मुंबई की उषा आठले की अनुपस्थिति में उनके आलेख का पाठ रफीक खान ने किया। - सत्र का संचालन:
इस सत्र का संचालन अरुण दाभडक़र ने किया।
उपस्थित साहित्यकार और कलाकार
दो दिवसीय आयोजन में राज्य भर से प्रगतिशील लेखक संघ और इप्टा की जिला इकाइयों के साहित्यकार और कलाकार बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। इनमें शामिल थे:
- नरेश अग्रवाल
- आरके सक्सेना
- प्रथमेश मिश्रा
- मुरली मनोहर सिंह
- शीतेन्द्रनाथ चौधरी
- मधुकर गोरख
- मुदित मिश्रा
- अंजना दीक्षित
- मीरा मिश्रा
- निहाल सोनी
- घनश्याम रजक
- धर्मेंद्र निर्मलकर
इन साहित्य प्रेमियों और कलाकारों ने आयोजन में भाग लिया।
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