बदहाल ट्रैफिक: हाईकोर्ट ने मांगी 28 जिलों की रिपोर्ट

प्रदेश में खराब ट्रैफिक और मॉनिटरिंग की कमी के कारण हो रही सड़क दुर्घटनाओं पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है। चीफ जस्टिस ने मामले की सुनवाई करते हुए 28 जिलों की स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कोर्ट कमिश्नर्स को एक माह का समय दिया गया है, और अगली सुनवाई 17 दिसंबर को निर्धारित की गई है।


सड़क दुर्घटनाओं के लिए मुख्य कारण

  1. आवारा मवेशियों का जमावड़ा:
    सड़कों पर आवारा मवेशियों की समस्या पर हाईकोर्ट ने गहरी चिंता व्यक्त की।
  2. लापरवाही से वाहन संचालन:
    बिना फिटनेस प्रमाणपत्र के वाहनों के संचालन पर भी सवाल उठाए गए।
  3. स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता:
    नगर निगम, पंचायत और अन्य प्रशासनिक इकाइयों द्वारा समुचित उपाय नहीं किए जा रहे हैं।

कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति और रिपोर्ट

एडवोकेट प्रांजल अग्रवाल, रविंद्र शर्मा, और अपूर्व त्रिपाठी को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करते हुए जांच के निर्देश दिए गए हैं। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि सड़कों पर मवेशी हटाने और ट्रैफिक सुधारने के लिए नेशनल हाइवे, ट्रैफिक विभाग, और स्थानीय प्रशासन को ठोस कार्रवाई करनी होगी।


कोर्ट कमिश्नर की प्रारंभिक रिपोर्ट

कोर्ट कमिश्नरों ने पूर्व सुनवाई में बताया:

  • मवेशी हटाने की कोई योजना नहीं:
    मवेशियों को सुबह हटाया जाता है, लेकिन वे शाम को वापस लौट आते हैं।
  • अस्पताल और दुकानों की अनियमितताएं:
    कई अस्पतालों की पार्किंग की व्यवस्था नहीं है, जिससे गाड़ियां सड़क पर खड़ी रहती हैं।
    दुकानदारों ने फुटपाथों पर कब्जा कर रखा है।

एनएचएआई पर विशेष निर्देश

खराब सड़कों पर हाईकोर्ट का रुख

दूसरे मामले में, हाईकोर्ट ने प्रदेश की खराब सड़कों को लेकर एनएचएआई के रीजनल डायरेक्टर से व्यक्तिगत शपथपत्र पर जवाब मांगा है। यह मामला भी हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर उठाया था।

जनहित याचिकाओं की पृष्ठभूमि

प्रदेश की खराब सड़कों पर पहले से लंबित जनहित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने नेशनल हाइवे, स्टेट हाइवे और न्यायधानी के अंदरूनी सड़कों की स्थिति पर ध्यान केंद्रित किया था। इसके लिए वरिष्ठ अधिवक्ताओं राजीव श्रीवास्तव, प्रतीक शर्मा, और राघवेंद्र प्रधान को न्यायमित्र नियुक्त किया गया।


पिछले शपथपत्र की खामियां

  • एनएचएआई द्वारा पूर्व में प्रस्तुत शपथपत्र में अधूरी जानकारी दी गई थी।
  • चीफ जस्टिस ने शासन से सबसे बड़े अधिकारी का नाम पूछा, और रीजनल डायरेक्टर को पूर्ण जानकारी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
  • अगली सुनवाई 10 दिसंबर को निर्धारित की गई है।

निष्कर्ष

हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए स्पष्ट किया कि आवारा मवेशियों और खराब ट्रैफिक व्यवस्था से संबंधित समस्याओं का शीघ्र समाधान किया जाना चाहिए। इसके लिए प्रशासनिक और तकनीकी प्रयासों को संयुक्त रूप से अमल में लाने की आवश्यकता है।


Discover more from VPS Bharat

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Related Posts

गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व: हाईकोर्ट में जनहित याचिका निराकृत

सरगुजा के कोरिया क्षेत्र स्थित गुरु घासीदास नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व घोषित करने की प्रक्रिया पर हाईकोर्ट ने संतोष व्यक्त करते हुए जनहित याचिका निराकृत कर दी है। राज्य शासन की ओर से जानकारी दी गई कि अधिसूचना जारी कर यह प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। लंबे समय से अटकी थी…

एएआई ने नाइट लैंडिंग के लिए मांगा 2 साल का समय, कोर्ट ने कहा- जल्द से जल्द शुरू करें

बिलासा एयरपोर्ट में नाइट लैंडिंग सुविधा में हो रही देरी को लेकर हाईकोर्ट ने एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) (AAI) से जवाब मांगा है। कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए निर्देश दिया कि सक्षम अधिकारी एक सप्ताह के भीतर शपथपत्र दाखिल कर यह बताएं कि कम से कम समय में यह सुविधा…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Discover more from VPS Bharat

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading