मंगलवार की सुबह दयालबंद निवासी सुंदरी देवी सरवानी जी का अचानक निधन हो गया, जिससे उनका परिवार और परिचित गहरे शोक में डूब गए। हालांकि इस दुखद घड़ी में भी उनके परिवार ने एक सराहनीय और प्रेरणादायक कदम उठाते हुए, नेत्रदान करने का निर्णय लिया।
नेत्रदान से दो लोगों को मिली नई रोशनी
सुंदरी देवी के परिवार ने इस नेक कार्य के लिए हैंड्सग्रुप से संपर्क किया। सूचना मिलते ही हैंड्सग्रुप की टीम ने सिम्स अस्पताल से डॉ. पुष्पलता देवांगन और नेत्रदान सलाहकार धर्मेंद्र देवांगन को सूचित किया। उनकी टीम तुरंत सुंदरी देवी के घर पहुंची और नेत्रदान प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा किया।
नेत्रदान के परिणामस्वरूप दो लोगों के जीवन में उजाला आया। जिनकी आंखों में अंधकार था, अब वे इस दुनिया को अपनी आंखों से देख सकेंगे।
हैंड्सग्रुप की जागरूकता मुहिम
हैंड्सग्रुप का यह प्रयास लंबे समय से चल रहे “नेत्रदान महादान अभियान” का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य समाज में नेत्रदान के प्रति जागरूकता फैलाना और जरूरतमंदों की मदद करना है। अब तक समूह के प्रयासों से कई लोगों को नया जीवन मिल चुका है।
हैंड्सग्रुप के सदस्य मानते हैं कि नेत्रदान से किसी की अंधेरी दुनिया में उजाला लाया जा सकता है। आज भी कई लोग, जिनमें बच्चे भी शामिल हैं, नेत्रदान का इंतजार कर रहे हैं। अगर अधिक लोग इस नेक काम के लिए आगे आएं, तो इन जरूरतमंदों के जीवन में भी रोशनी आ सकती है।
नेत्रदान: एक महान सेवा
सुंदरी देवी सरवानी के इस प्रेरणादायक कदम ने समाज में नेत्रदान को लेकर एक नई मिसाल पेश की है। यह निर्णय उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है, जो मृत्यु के बाद भी अपने अंगों को दान करके दूसरों के जीवन को बेहतर बना सकते हैं।
इस तरह के सराहनीय कार्य से समाज में एक नई जागरूकता पैदा होती है और यह हमें बताता है कि जीवन और मृत्यु से परे भी, हम दूसरों की मदद कर सकते हैं।
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