काल भैरव जयंती, जो हिंदू धर्म में अत्यंत धार्मिक महत्व रखती है, इस बार भी श्रद्धा और भक्ति के साथ रतनपुर के सिद्ध तंत्र पीठ भैरव मंदिर में मनाई जा रही है। मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाए जाने वाले इस पावन पर्व पर भगवान शिव के उग्र स्वरूप काल भैरव जी की पूजा विधिवत की जाती है।
विशेष आयोजन और श्रृंगार:
- सुबह भव्य श्रृंगार:
भैरव बाबा को एक क्विंटल गेंदे के फूलों और नरमुंड की माला से अलंकृत किया गया। - विशेष पूजा-अर्चना:
राज्योपचार और नमक-चमक विधि से 21 वैदिक पंडितों द्वारा विशेष पूजा संपन्न की गई। - 56 प्रकार के भोग:
बाबा को 56 प्रकार के भोग अर्पित किए गए। - रातभर दर्शन:
महाआरती के बाद मंदिर के पट रातभर भक्तों के दर्शन हेतु खुले रहेंगे।
महंत का संदेश:
मंदिर के महंत पं. जागेश्वर अवस्थी ने बताया कि यह आयोजन 9 दिवसीय विशेष पूजा का हिस्सा है, जिसमें प्रतिदिन रुद्राभिषेक और तंत्र साधना के साथ आहुतियां दी जा रही हैं। इस दौरान भंडारे का आयोजन भी किया गया, जिसमें भक्त प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं।
भैरव जयंती का आकर्षण:
रतनपुर नगर के कोतवाल बाबा भैरवनाथ का राजश्री श्रृंगार भक्तों के लिए मुख्य आकर्षण है। नरमुंड की मालाओं और विभिन्न फूलों से सजे बाबा का दिव्य रूप श्रद्धालुओं के मन को मोह लेता है। इस अवसर पर प्रदेश और अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में भैरव भक्त अपनी कामनाओं की पूर्ति के लिए बाबा से प्रार्थना करने पहुंचते हैं।
पूजन में शामिल पंडितगण:
पं. दिलीप दुबे, पं. महेश्वर पांडेय, पं. राजेंद्र दुबे, पं. कान्हा तिवारी, विक्की अवस्थी, सोनू, आचार्य गिरधारी लाल पांडेय, पं. अवनीश मिश्रा, पं. बल्ला दुबे, पं. गौरीशंकर तिवारी, पं. राम सुमित तिवारी और यशवंत पांडेय सहित अन्य पंडितों ने विधि-विधान से पूजा संपन्न कराई।
भैरव भक्तों का उत्साह:
भैरव जयंती पर हर साल भक्तों में उत्साह का माहौल रहता है। बाबा भैरवनाथ की दिव्य छवि और भव्य आयोजन प्रदेशभर के श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं।
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