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श्रीमद्भगवद्गीता से सिखाया प्राचीन राजयोग

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विश्व ध्यान दिवस पर शिव अनुराग भवन में सामूहिक योगाभ्यास का आयोजन


शिव अनुराग भवन, राजकिशोरनगर में विश्व ध्यान दिवस के अवसर पर विशेष सामूहिक योगाभ्यास का आयोजन किया गया। एक घंटे तक चले इस कार्यक्रम में सभी साधकों ने मिलकर ध्यान साधना की। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम की प्रमुख वक्ता बीके मंजू दीदी रहीं। उन्होंने ध्यान और राजयोग के महत्व पर प्रकाश डाला।


“राजयोग: जीवन को सुख और समृद्धि से भरने का मार्ग”

बीके मंजू ने कहा, “श्रीमद्भगवद्गीता में स्वयं भगवान ने अर्जुन के माध्यम से समस्त मानव जाति को राजयोग की शिक्षा दी। इसका मूल मंत्र है— ‘मनमनाभव ’, यानी अपने मन को परमात्मा में लगाना। हर कर्म परमात्मा की याद में रहकर करने से जीवन में सच्ची शांति और समृद्धि आती है।”


योग: भारत की प्राचीन विधि, जो बनी विश्व की प्रेरणा

बीके मंजू ने बताया कि ध्यान और मेडिटेशन भारत की प्राचीन विधि है, जिसे आज पूरा विश्व अपना रहा है। संयुक्त राष्ट्र ने 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस घोषित कर ध्यान के महत्व को वैश्विक स्तर पर मान्यता दी है। इस अवसर पर ब्रह्माकुमारी के सभी सेवाकेंद्रों पर विशेष योगाभ्यास कार्यक्रम आयोजित किए गए।


“सहज और सरल है राजयोग”

दीदी ने बताया कि राजयोग एक सहज योग है, जिसमें किसी प्रकार की शारीरिक पीड़ा नहीं दी जाती। उन्होंने कहा, “राजयोग में हमें घर-बार छोड़कर जंगल में जाने की आवश्यकता नहीं है। यह योग केवल आत्मा को समझकर परमात्मा को याद करने का अभ्यास है। यही साधना जीवन को सुख-संपत्ति से भर देती है।”


साधकों की उत्साहपूर्ण भागीदारी

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साधकों ने भाग लिया और ध्यान की कला को आत्मसात किया। सामूहिक योगाभ्यास ने सभी को आध्यात्मिक ऊर्जा और शांति का अनुभव कराया। आयोजकों ने इसे ध्यान और आत्मिक उन्नति के क्षेत्र में एक प्रभावशाली कदम बताया।



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