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08 मई 2025, बिलासपुर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय, बिलासपुर की मुख्य शाखा, टेलीफोन एक्सचेंज रोड स्थित राजयोग भवन में आयोजित 6 दिवसीय “बाल संस्कार शिविर” के तीसरे दिन, सेवाकेंद्र संचालिका बीके स्वाति दीदी ने बच्चों को भोजन और एकाग्रता के महत्व पर व्याख्यान दिया। इस अवसर पर दीदी ने बच्चों को बताया कि भोजन का हमारे शरीर और विचारों पर गहरा प्रभाव पड़ता है। जैसा भोजन, वैसा मन और जैसा पानी, वैसी वाणी – यह दो प्रसिद्ध कहावतें इस सच्चाई को दर्शाती हैं कि हमारा आहार हमारे मनोबल और मानसिक स्थिति पर सीधा प्रभाव डालता है।
सात्विक, राजसिक और तामसिक भोजन के प्रकार
दीदी ने तीन प्रकार के भोजन – सात्विक, राजसिक और तामसिक – का विवरण करते हुए बताया। सात्विक भोजन वह है जो हमारे शरीर और मन दोनों के लिए संतुलित और स्वस्थ होता है। यह भोजन सात्विक गुणों से भरपूर होता है और इसे हम अपने राष्ट्रीय ध्वज से समझ सकते हैं। हमारे ध्वज के तीन रंगों – केसरिया, सफेद और हरे – को अपनाते हुए हमें भोजन में इन रंगों के अनुपात में खाद्य पदार्थों को शामिल करना चाहिए:
- लाल रंग: गाजर, टमाटर, अनार, पपीता, चकुंदर
- पीला रंग: नींबू, मौसम्बी, आम
- सफेद रंग: दूध, दही, मक्खन, छाछ, पनीर
- हरा रंग: हरी सब्जियां, सलाद, दालें
राजसिक भोजन में अधिक तेल, नमक, मसाले होते हैं, जो शरीर को भारी करते हैं और आलस्य व मोटापे को बढ़ाते हैं। वहीं, तामसिक भोजन – जैसे अंडे, मांसाहार, नशीले पदार्थ, प्याज-लहसुन – हमारे मन को चंचल करता है और एकाग्रता में कमी लाता है।

एकाग्रता और सकारात्मकता का महत्व
दीदी ने एकाग्रता का महत्व बताते हुए कहा कि किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए एकाग्रता आवश्यक है। एकाग्रता का अर्थ है – मन और बुद्धि को जब, जहां और जितनी देर के लिए स्थिर करना चाहते हैं, उसे स्थिर कर पाना। उन्होंने बच्चों को सुझाव दिया कि वे प्रतिदिन सुबह उठते ही और रात को सोते समय सकारात्मक संकल्प लें, जैसे “मैं पीसफुल एनर्जी हूं, मैं प्योर एनर्जी हूं, मैं पावरफुल हूं, मैं बहुत पॉजिटिव हूं, मैं सक्सेसफुल हूं, मैं बहुत इंटेलिजेंट हूं।” इस प्रकार के सकारात्मक विचारों को दोहराने से हमारी मानसिक स्थिति में सुधार होता है और हम अपनी शक्ति को महसूस करते हैं।
सकारात्मक विचारों से शुद्ध भोजन और जल

दीदी ने बच्चों को यह भी सिखाया कि मंदिर में जो जल दिया जाता है, उसे अमृत कहा जाता है, क्योंकि उसमें मंत्रोच्चारण, शंख, घंटों आदि की सकारात्मक ऊर्जा समाहित होती है। ठीक उसी तरह, हम अपने भोजन और पानी को सकारात्मक विचारों से शुद्ध कर सकते हैं और उसे अमृत बना सकते हैं।
इस अवसर पर दीदी ने बच्चों के लिए विभिन्न कहानियाँ और गतिविधियाँ करवाई, जिनसे बच्चों ने बहुत आनंद लिया। बच्चों को सकारात्मक विचार देकर भोजन और पानी को शुद्ध बनाने की विधि सिखाई गई।
आगे की कार्यवाही
दीदी ने बताया कि अगले दिन बच्चों को क्रोध प्रबंधन के विषय में शिक्षा दी जाएगी।
ईश्वरीय सेवा में,
बीके स्वाति
राजयोग भवन, बिलासपुर
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