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फैमिली कोर्ट के तलाक आदेश को हाईकोर्ट ने दी पुष्टि
मानसिक क्रूरता के आधार पर हाईकोर्ट ने विवाह विच्छेद को उचित ठहराते हुए पति के पक्ष में फैसला सुनाया है। पहले फैमिली कोर्ट ने पति के तलाक आवेदन को स्वीकार करते हुए आदेश पारित किया था, जिसे पत्नी ने चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने पत्नी की अपील खारिज कर दी और 5 लाख रुपये का स्थायी गुजारा भत्ता निर्धारित किया।
2017 में हुआ था विवाह
मुंगेली जिले के नवागांव निवासी सोनिया जांगड़े और बेमेतरा जिले के ग्राम दर्री निवासी बीरभान सिंह जांगड़े का विवाह 2 मई 2017 को हिंदू रीति-रिवाजों से हुआ था। प्रारंभिक 6 महीनों तक सोनिया ने ससुराल में ठीक व्यवहार किया, लेकिन इसके बाद वह अपने मायके में रहने लगी।
ससुराल में नहीं निभाए संबंध
पति के अनुसार, विवाह के कुछ समय बाद ही सोनिया का व्यवहार बदलने लगा। उसने पति के माता-पिता से अलग रहने का दबाव बनाया और छोटी-छोटी बातों पर झगड़े किए। 15 अप्रैल 2019 से वह अपने मायके में रह रही है। पति जब उसे लेने गया तो उसने आने से इनकार कर दिया।
फैमिली कोर्ट ने दिया था तलाक का आदेश
इन परिस्थितियों को देखते हुए पति ने फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दी। 23 नवंबर 2019 को फैमिली कोर्ट ने पति के पक्ष में तलाक का आदेश पारित किया और 5,000 रुपये प्रतिमाह भरण-पोषण देने का निर्देश दिया। पति ने आदेश का पालन किया और नियमित रूप से भरण-पोषण राशि दी।
पत्नी ने लगाए घरेलू हिंसा के आरोप
तलाक आदेश के बाद, सोनिया ने पति और उसके परिवार पर घरेलू हिंसा का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया। हालांकि, इन आरोपों को कोर्ट ने प्रमाणित नहीं पाया और पति के पक्ष में फैसला सुनाया।
हाईकोर्ट ने कहा – मानसिक क्रूरता का आधार मजबूत
सोनिया द्वारा हाईकोर्ट में दायर अपील की सुनवाई के बाद, डिवीजन बेंच ने पाया कि पति ने मानसिक क्रूरता के आरोपों को साबित किया है। कोर्ट ने कहा कि फैमिली कोर्ट का फैसला न्यायोचित है।
5 लाख का स्थायी गुजारा भत्ता निर्धारित
हाईकोर्ट ने यह भी माना कि तलाक की डिक्री पारित होने के बाद पत्नी स्थायी गुजारा भत्ता पाने की हकदार है। इस आधार पर कोर्ट ने एकमुश्त 5 लाख रुपये का भत्ता निर्धारित किया।
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