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बिलासपुर। शिक्षाकर्मी वर्ग-3 की भर्ती में अनियमितता और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे जनपद पंचायत वाड्रफनगर के तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) और वर्तमान में ट्राइबल विभाग के अधिकारी सी.एल. जायसवाल को हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है।
हाईकोर्ट ने उनकी आपराधिक पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी है, जिससे अब स्पेशल कोर्ट में उनके खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने का रास्ता साफ हो गया है।
यह मामला वर्ष 1998 का है, जब शिक्षाकर्मी वर्ग-3 की भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई थी। उस दौरान जायसवाल जनपद पंचायत वाड्रफनगर के सीईओ थे और भर्ती चयन समिति के पदेन अध्यक्ष भी बनाए गए थे। उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए भर्ती प्रक्रिया में भारी अनियमितताएं कीं और अपने रिश्तेदारों एवं करीबी लोगों को अवैध रूप से लाभ पहुंचाया।
शिकायत मिलने के बाद सरगुजा कलेक्टर द्वारा चार सदस्यीय जांच समिति गठित की गई थी। जांच रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि चयनित अभ्यर्थियों के पास आवश्यक योग्यता नहीं थी और चयन प्रक्रिया में नियमों की अनदेखी की गई थी। इसके आधार पर एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) और आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने मामला दर्ज कर विस्तृत जांच शुरू की।
जांच में यह भी सामने आया कि चयन समिति के नौ सदस्यों ने नियमों को दरकिनार कर भर्ती प्रक्रिया को प्रभावित किया, खासकर ओबीसी और अनुसूचित जाति वर्ग की सूची में गंभीर गड़बड़ी पाई गई।

जांच पूरी होने के बाद 27 जून 2018 को स्पेशल कोर्ट बलरामपुर ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(2) और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी के तहत जायसवाल के खिलाफ आरोप तय कर मुकदमा चलाने का आदेश दिया था। इस आदेश को जायसवाल ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसे अब खारिज कर दिया गया है।
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