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गीता जयंती का भव्य उत्सव: बिलासपुर में श्रद्धा और भक्ति का संगम

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शोभायात्रा से हुई शुरुआत

बिलासपुर के क्रांति नगर स्थित रामा वाटिका में गीता जयंती का आयोजन गीता परिवार द्वारा किया गया। परमपूज्य श्रद्धेय स्वामी गोविंददेव गिरीजी महाराज द्वारा स्थापित इस गीता परिवार ने मोक्षदा एकादशी के पावन अवसर पर इस भव्य आयोजन का नेतृत्व किया।
कार्यक्रम की शुरुआत महेश डागाजी के निवास स्थान से शोभायात्रा के साथ हुई। पीले वस्त्रों में सजे भक्तजन भक्ति रस में डूबे हुए भगवान श्रीकृष्ण की जयकार करते हुए गीता के उपदेशों का प्रचार करते नजर आए।

गीता पाठ और सामूहिक आरती का आयोजन

रामा वाटिका पहुंचने पर गीता के 18 अध्यायों का सामूहिक पाठ किया गया। इसके बाद श्रद्धालुओं ने मिलकर श्रीमद्भगवद्गीता की आरती की। आरती में भाग लेने वाले सभी भक्तजनों ने भगवान श्रीकृष्ण को श्रद्धा सुमन अर्पित किए और अपने मन को आत्मशुद्धि की ओर अग्रसर किया।


प्रसाद वितरण और प्रतियोगिताएं

कार्यक्रम के दौरान प्रसाद वितरण किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में भक्तों ने भाग लिया। इसके साथ ही, गीता के उपदेशों और भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं पर आधारित प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।


घर-घर पहुंचा गीता का संदेश

गीता जयंती के इस पावन अवसर पर गीता परिवार के सदस्यों ने सामूहिक गीता पाठ के साथ-साथ घर-घर जाकर गीता के उपदेशों का प्रचार किया। सरोज, शीला, किरण, नीलम और महेशजी ने इस पुनीत कार्य में योगदान दिया।


मोक्षदा एकादशी का महत्व

मोक्षदा एकादशी, भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को महाभारत के रणभूमि में दिए गए गीता के दिव्य उपदेशों का स्मरण कराती है। इस दिन को व्रत, गीता पाठ और भक्ति के माध्यम से पापों के नाश और मोक्ष प्राप्ति का पर्व माना जाता है।


अध्यात्म और एकता का संदेश

गीता परिवार के इस आयोजन ने न केवल भक्तजनों को एकता के सूत्र में बांधा, बल्कि गीता के अमूल्य उपदेशों को जीवन में उतारने का संदेश भी दिया। श्रद्धालुओं ने गीता के ज्ञान को आत्मसात करने का संकल्प लिया।


समापन पर संकल्प और ऊर्जा का संचार

कार्यक्रम के समापन पर सभी ने गीता के पवित्र उपदेशों को समाज में प्रचारित करने का प्रण लिया। इस आयोजन ने श्रद्धालुओं के मन में अध्यात्मिक ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार किया।

गीता जयंती के इस भव्य आयोजन ने अध्यात्म, सदाचार और समाज कल्याण के प्रति नई प्रेरणा दी।


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