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छत्तीसगढ़ प्रांतीय अखंड ब्राह्मण समाज और समग्र ब्राह्मण एकता मंच के संयुक्त तत्वाधान में गुरूवार को एक भव्य उपनयन संस्कार कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह आयोजन श्री श्याम खाटू घोंघा बाबा मंदिर में हुआ, जिसमें प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों जैसे रायगढ़, मुंगेली, कोरबा, रायपुर, बिलासपुर, अमलाई, अनूपपुर, और बेंगलौर से कुल 31 बटुकों का उपनयन संस्कार सम्पन्न किया गया। इस धार्मिक आयोजन में बटुकों के साथ उनके परिवार के 350 ब्राह्मण परिवार भी उपस्थित थे।
उपनयन संस्कार का महत्व
उपनयन संस्कार, जिसे यज्ञोपवीत या जनेऊ संस्कार भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म के 16 प्रमुख संस्कारों में से एक है। इस संस्कार के दौरान, बच्चों को गुरु के पास ले जाया जाता है और उन्हें यज्ञोपवीत पहनाया जाता है। यह संस्कार एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जिसके बाद बच्चे को वेदों का अध्ययन करने का अधिकार प्राप्त होता है। ब्राह्मण समाज में उपनयन संस्कार को आधा विवाह संस्कार माना जाता है, जिसमें बटुकों का हल्दी, नहडोरी, कलश, बारात मण्डप सहित अन्य धार्मिक आयोजन होते हैं।
कार्यक्रम की सफलता में योगदान देने वाले प्रमुख लोग


इस भव्य आयोजन का नेतृत्व पंडित पंकजभूषण मिश्रा अकलतरी वाले ने किया, जो इस संस्कार के परमाचार्य के रूप में उपस्थित थे। उनके नेतृत्व में 31 बटुकों का उपनयन संस्कार बड़े श्रद्धा भाव से सम्पन्न हुआ। इसके अलावा कार्यक्रम की सफलता में वंदना तिवारी, रंजन पाण्डेय, सीमा पाठक, शारदा गौरहा, नीलिमा तिवारी, कृष्णा दुबे, देवेंद्र पाठक, विवेक दुबे, प्रदीप पाण्डेय, शारदा त्रिपाठी, दिव्या पाण्डेय, प्राची तिवारी, अंजू उपाध्याय, सुनीता पाठक, सोनू गौरहा, प्रीति गौरहा, संगीता शुक्ला, नीलू चौबे, हितेश तिवारी आदि की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इन सभी ने मिलकर इस कार्यक्रम को सफल बनाने में योगदान दिया।
धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन का उत्सव
उपनयन संस्कार के इस पवित्र अवसर पर परिवारों ने खुशी और उल्लास के साथ भाग लिया। बटुकों के साथ उनके परिवार के सदस्य भी इस धार्मिक अनुष्ठान में सम्मिलित हुए और आयोजन के दौरान आयोजित विभिन्न धार्मिक क्रियाओं में भाग लिया। इस अवसर पर बटुकों के परिवारों ने अपार श्रद्धा और आदर के साथ उनके जीवन में इस महत्वपूर्ण संस्कार को पूरा करने का अनुभव किया।
उपनयन संस्कार के सांस्कृतिक पहलु
यह आयोजन केवल एक धार्मिक संस्कार नहीं था, बल्कि यह एक सांस्कृतिक उत्सव भी था, जो ब्राह्मण समाज की समृद्ध परंपराओं को जीवित रखने का प्रतीक बन गया। इस प्रकार के आयोजनों से न केवल धार्मिक संस्कारों को बढ़ावा मिलता है, बल्कि यह समाज में एकता और भाईचारे की भावना को भी प्रोत्साहित करता है। इस आयोजन ने न केवल स्थानीय समुदाय को एकजुट किया, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों से आए हुए परिवारों को एक मंच पर लाकर सांस्कृतिक मेलजोल को भी बढ़ावा दिया।
उपनयन संस्कार के भविष्य में महत्व
इस प्रकार के उपनयन संस्कार आयोजन भविष्य में और भी प्रभावशाली होंगे, जिससे ब्राह्मण समाज की सांस्कृतिक धारा को सशक्त किया जा सके। इन आयोजनों से न केवल संस्कारों का प्रचार-प्रसार होता है, बल्कि यह युवाओं में भारतीय संस्कृति और धर्म के प्रति आदर और श्रद्धा भी उत्पन्न करता है।
यह आयोजन छत्तीसगढ़ के ब्राह्मण समाज के लिए एक ऐतिहासिक पल था, जिसे उन्होंने अपने जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया। उपनयन संस्कार के इस आयोजन से सभी उपस्थित लोगों को धार्मिक और सांस्कृतिक एकता का अहसास हुआ और यह आयोजन हमेशा उनके दिलों में बसेगा।
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