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प्राइमरी स्कूलों में डीएलएड अभ्यर्थियों की नियुक्ति को लेकर हाईकोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। इस दौरान शासन की ओर से 2855 अभ्यर्थियों की सूची प्रस्तुत की गई। कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में शासन को भर्ती प्रक्रिया पूरी करने के लिए 15 दिन का समय दिया और समयसीमा का पालन न करने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी।
हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी
सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने शासन को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की याद दिलाई, जिसमें डीएलएड अभ्यर्थियों की नियुक्ति का निर्देश दिया गया था।
- शासन की एसएलपी: सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहले ही खारिज की जा चुकी है।
- हाईकोर्ट की नाराजगी: कोर्ट ने कहा कि समय-सीमा बार-बार बढ़ाई नहीं जा सकती। यह बेंच सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने की जिम्मेदार है।
शासन के वकील ने नई नियुक्ति में मिड सेशन के कारण असुविधा का हवाला दिया, लेकिन कोर्ट ने इसे अस्वीकार करते हुए नियुक्ति प्रक्रिया तत्काल पूरी करने को कहा।
अवमानना याचिका का मामला
इस विवाद की पृष्ठभूमि में बीएड और डीएलएड अभ्यर्थियों के बीच चयन प्रक्रिया का मुद्दा है।
- पिछली सुनवाई:
जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की बेंच ने गत माह चौथी बार अवमानना याचिका की सुनवाई की थी। - निर्देश:
हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग को बीएड अभ्यर्थियों को बाहर करते हुए केवल डीएलएड अभ्यर्थियों की नई सूची तैयार कर 21 दिनों में प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। - अनुपालन में देरी:
निर्धारित समय के बाद भी सूची प्रस्तुत न होने पर कोर्ट ने सख्त नाराजगी जताई और शासन को फटकार लगाई। - कारण:
शासन के वकील ने व्यापम से सूची न मिलने को देरी का कारण बताया।
कोर्ट का अंतिम निर्देश
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि अब समय सीमा नहीं बढ़ाई जाएगी।
- अंतिम अवसर: 15 दिनों के भीतर नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करनी होगी।
- चेतावनी: निर्देश का पालन न होने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
यह मामला न केवल प्रशासनिक देरी को दर्शाता है, बल्कि नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता और समयबद्धता की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है। इससे प्रभावित अभ्यर्थियों को न्याय मिलने की उम्मीद है।
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