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बिलाईगढ़/रायपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक रिटायर्ड फार्मासिस्ट को बड़ी राहत देते हुए 7 लाख 75 हजार रुपये की रिकवरी के आदेश को निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट रूप से कहा कि तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों से सेवानिवृत्ति के बाद अधिक वेतन की वसूली नहीं की जा सकती। यह फैसला न केवल याचिकाकर्ता के लिए राहतपूर्ण रहा, बल्कि अन्य सरकारी कर्मचारियों के लिए भी मिसाल बन सकता है।
यह मामला घासीराम साहू से जुड़ा है, जो बिलाईगढ़ स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में फार्मासिस्ट ग्रेड-2 के पद पर कार्यरत थे और 30 जून 2024 को सेवानिवृत्त हुए। सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें पेंशन, ग्रैच्युटी और अन्य देयक समय पर नहीं दिए गए। विभाग की ओर से यह तर्क दिया गया कि उनके वेतन का निर्धारण पूर्व में गलत तरीके से किया गया था, जिसके चलते विभाग ने 7 लाख 75 हजार रुपये की रिकवरी का आदेश जारी कर दिया।
इस आदेश को घासीराम साहू ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में चुनौती दी। उन्होंने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि सेवानिवृत्त कर्मियों से इस प्रकार की रिकवरी न केवल अनुचित है, बल्कि न्याय के विरुद्ध भी है।

मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व में दिए गए निर्णयों के अनुसार तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों से रिटायरमेंट के बाद वेतन की अधिकता को लेकर कोई भी वसूली नहीं की जा सकती। इसके आधार पर अदालत ने विभाग द्वारा जारी किया गया 7.75 लाख रुपये की रिकवरी का आदेश रद्द कर दिया।
इस फैसले के बाद याचिकाकर्ता घासीराम साहू को अब उनके सेवानिवृत्ति लाभ मिलने का रास्ता साफ हो गया है।
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