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बिलासपुर। अरपा नदी में बढ़ते प्रदूषण और अवैध खनन को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच ने नगरीय प्रशासन सचिव को निर्देश दिए हैं कि वे शपथपत्र के माध्यम से यह स्पष्ट करें कि अरपा नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए कौन-कौन से उपाय और प्रावधान अपनाए गए हैं। इस मामले में अगली सुनवाई 8 मई को होगी।
नगर निगम बिलासपुर ने कोर्ट को जानकारी दी कि अरपा नदी में गंदा पानी जाने से रोकने के लिए एक विशेष प्रोजेक्ट बनाया गया है, जिसे एमआईसी और सामान्य सभा से स्वीकृति मिल चुकी है। यह प्रस्ताव अब वित्तीय स्वीकृति के लिए राज्य शासन को भेजा गया है। कोर्ट ने इस पर राज्य सरकार से शीघ्र कार्यवाही सुनिश्चित करने को कहा है।
तीन जनहित याचिकाओं पर संयुक्त सुनवाई
अरपा नदी के संरक्षण को लेकर तीन अलग-अलग जनहित याचिकाएं हाईकोर्ट में दाखिल हैं। वकील अरविंद शुक्ला और रामनिवास तिवारी द्वारा दायर याचिकाओं में नदी के उद्गम स्थल को बचाने और प्रदूषण रोकने की मांग की गई है। वहीं, अरपा अर्पण महाअभियान समिति द्वारा दायर याचिका में अवैध खनन पर रोक की बात कही गई है। याचिका में यह भी उल्लेख है कि खनन के कारण बने गड्ढों में बारिश के दौरान तीन बालिकाओं की डूबने से मौत हो चुकी है।
अवैध खनन पर FIR दर्ज करने की छूट
सुनवाई के दौरान अरपा अर्पण महाअभियान समिति के अधिवक्ता अंकित पाण्डेय ने सुप्रीम कोर्ट की एक रूलिंग का हवाला देते हुए बताया कि स्थानीय पुलिस चाहे तो अवैध उत्खनन के मामलों में दोषियों के खिलाफ सीधे FIR दर्ज कर सकती है। शासन की ओर से कोर्ट को बताया गया कि इस मुद्दे पर छह वरिष्ठ अधिकारियों की एक समिति कार्य कर रही है, लेकिन अभी तक समिति की कोई रिपोर्ट सामने नहीं आई है।
कोर्ट की सख्ती
कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए कि नगर निगम और राज्य शासन नदी के संरक्षण के लिए बनाई गई योजनाओं को जल्द लागू करें और इसकी जानकारी शपथपत्र के माध्यम से प्रस्तुत करें। कोर्ट ने यह भी कहा कि पर्यावरण की दृष्टि से यह एक गंभीर मुद्दा है और इसमें लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
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