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शहर में गंदगी, अतिक्रमण और अव्यवस्थित निर्माण पर हाईकोर्ट सख्त, प्रशासन और निगम को अंतिम मौका

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बिलासपुर।
हाईकोर्ट ने बिलासपुर शहर में जगह-जगह फैली गंदगी, अतिक्रमण और बिना योजना के हो रहे निर्माण कार्यों को लेकर जिला प्रशासन, नगर निगम और सीएसआईडीसी पर गंभीर नाराज़गी जताई है। न्यायालय ने इन तीनों संस्थाओं को जवाब देने के लिए एक और अवसर प्रदान किया है।

रेलवे की ओर से कोर्ट को जानकारी दी गई कि सिरगिट्टी अंडरब्रिज के आसपास का कचरा हटा लिया गया है। हालांकि, अन्य क्षेत्रों की स्थिति अब भी चिंताजनक बनी हुई है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने अधिकारियों के ढीले रवैये पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था, “जो काम एक पेन से हो सकता है, वह भी नहीं करते, सिर्फ नाटक करते हैं।”

‘स्मार्ट सिटी’ पर सवाल, आयुक्त को निलंबन की सलाह
जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने स्मार्ट सिटी के तहत बनाए गए फुटपाथों की गुणवत्ता पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “इन पर न तो दिव्यांग चल सकते हैं और न ही सामान्य नागरिक।” कोर्ट ने जिलाधिकारी और नगर निगम आयुक्त को निर्देशित किया कि वे स्वयं जाकर इस स्थिति का निरीक्षण करें। उन्होंने यह भी कहा कि निगम आयुक्त को इस तरह की लापरवाही के लिए निलंबित किया जाना चाहिए।

कछुओं की मौत पर उठे गंभीर सवाल
महामाया मंदिर परिसर के कुंड में मछली पकड़ने के लिए बिछाए गए जाल में दो दर्जन कछुओं की मौत पर भी कोर्ट ने प्रशासन और मंदिर ट्रस्ट की भूमिका पर सवाल खड़े किए। चीफ जस्टिस ने टिप्पणी करते हुए कहा, “वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट की किस तरह अनदेखी की जा रही है? मंदिर ट्रस्ट उस समय क्या कर रहा था?”

सिरगिट्टी और जरहाभाटा में औद्योगिक व घरेलू कचरे की भरमार
कोर्ट ने सिरगिट्टी औद्योगिक क्षेत्र और जरहाभाटा के ओमनगर में लगातार जमा हो रहे कचरे पर चिंता जताई है। औद्योगिक अवशेषों को खुले में डंप करने की प्रवृत्ति पर भी सवाल उठाए गए हैं।

डिवीजन बेंच ने बिलासपुर कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त से व्यक्तिगत शपथपत्र के साथ जवाब माँगा है कि इन सभी समस्याओं के समाधान के लिए प्रशासन क्या कदम उठा रहा है।


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