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बिलासपुर।
बिलासपुर रेलवे स्टेशन पर कैंसर पीड़ित महिला को एंबुलेंस सुविधा न मिलने के मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए रेलवे और राज्य सरकार को 3 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि इसमें से 1 लाख रुपए रेलवे और 2 लाख रुपए राज्य शासन देगा। साथ ही कोर्ट ने भविष्य में मरीजों को तत्काल स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिए हैं। आदेश के साथ ही कोर्ट ने याचिका का निराकरण कर दिया।
क्या है मामला?
बुढ़ार (मध्यप्रदेश) निवासी 62 वर्षीय महिला 18 मार्च को अपने परिजनों के साथ ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस के जनरल कोच में रायपुर से बिलासपुर आ रही थी। बिलासपुर में ट्रेन बदलकर बुढ़ार जाना था, लेकिन यात्रा के दौरान उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। बिलासपुर स्टेशन पर पहुंचते ही परिजनों ने रेलवे कर्मचारियों को जानकारी दी। इसके बाद स्ट्रेचर की व्यवस्था कर महिला को प्लेटफॉर्म से बाहर लाया गया, लेकिन एक घंटे तक एंबुलेंस नहीं पहुंची।
जब अंततः एंबुलेंस आई तो मरीज की मृत्यु हो चुकी थी, और एंबुलेंस चालक ने शव ले जाने से मना कर दिया। मजबूर होकर परिजनों ने निजी वाहन से शव को घर ले जाने की व्यवस्था की।
हाईकोर्ट ने जताई कड़ी नाराजगी
इस मामले में हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की थी। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने स्वास्थ्य विभाग और रेलवे की लापरवाही पर कड़ी नाराजगी जताई। कोर्ट ने पूछा था कि जब राज्य सरकार मुफ्त स्वास्थ्य सेवाओं का दावा करती है, तो फिर जरूरतमंदों को तत्काल सुविधा क्यों नहीं मिल पा रही है?
रेलवे की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने जवाब दिया कि स्टेशन पर रेलवे स्टाफ भेजा गया था, पर वहां कोई मरीज नहीं मिला। वहीं राज्य शासन ने भी एंबुलेंस सुविधा से संबंधित जानकारी प्रस्तुत की, लेकिन कोर्ट ने इसे असंतोषजनक माना।
भविष्य के लिए निर्देश

कोर्ट ने आदेश दिया कि भविष्य में किसी भी मरीज को ऐसी स्थिति का सामना न करना पड़े। रेलवे स्टेशन और अस्पतालों में तत्काल एंबुलेंस उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए गए हैं।
दंतेवाड़ा मामला भी आया चर्चा में
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दंतेवाड़ा जिले के गीदम में भी 11 घंटे तक एंबुलेंस नहीं पहुंचने से मरीज की मौत के मामले का जिक्र किया। इस घटना में भी परिजन 108 एंबुलेंस सेवा को बार-बार कॉल करते रहे, लेकिन एंबुलेंस सुबह के बजाय रात में पहुंची। इस मामले में सुनवाई अभी जारी है।
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