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बिलासपुर, 30 अप्रैल:
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने प्राचार्य पदोन्नति के आदेश पर कड़ी आपत्ति जताते हुए उसे तत्काल प्रभाव से रोक दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। यह कार्रवाई स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा अदालत की पूर्व में दी गई अंडरटेकिंग और स्थगन आदेश के बावजूद प्रमोशन आदेश जारी करने पर की गई है।
दरअसल, राज्य सरकार ने पहले सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को यह आश्वासन दिया था कि अदालत के निर्णय तक कोई पदोन्नति सूची जारी नहीं की जाएगी। इसके बावजूद बुधवार को शासन द्वारा 2925 शिक्षकों की पदोन्नति सूची प्रकाशित कर दी गई, जिसमें ई संवर्ग के 1524 और टी संवर्ग के 1401 शिक्षक शामिल हैं।
याचिकाकर्ताओं ने जताई आपत्ति
गुरुवार को डिवीजन बेंच में याचिकाकर्ता अखिलेश त्रिपाठी की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में प्राचार्य पदोन्नति फोरम ने भी हस्तक्षेप याचिका दायर की। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकीलों ने कोर्ट को अवगत कराया कि राज्य सरकार ने खुद कोर्ट में अंडरटेकिंग दी थी, लेकिन अब उसी का उल्लंघन कर दिया गया है।
कोर्ट की सख्त टिप्पणी
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति अरविंद वर्मा की डिवीजन बेंच ने राज्य शासन के रवैये पर नाराजगी जताई और इसे न्यायालय की अवमानना करार दिया। कोर्ट ने कहा कि जब मामला विचाराधीन है और अंडरटेकिंग दी जा चुकी है, तो प्रमोशन आदेश जारी करना गंभीर अनुशासनहीनता है।

अब इस मामले की अगली सुनवाई 7 मई को होगी, जिसमें राज्य शासन को स्पष्टीकरण देना होगा कि न्यायिक प्रक्रिया की अनदेखी क्यों की गई।
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