Ad Image

Contact on vpsbharat24@gmail.com for your ad

कर्मचारी का प्रदर्शन ग्रेड अनुसार न हो तो समय से पहले सेवानिवृत्ति उचित: हाईकोर्ट

👇 खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

Listen to this article

हाईकोर्ट का फैसला: मापदंड पूरे न करने पर सेवानिवृत्ति

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि सरकारी कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का निर्णय सेवा मापदंडों के अनुरूप होना चाहिए। यदि कोई कर्मचारी 20 वर्ष की सेवा पूरी कर चुका है या 50 वर्ष की आयु प्राप्त कर चुका है और उसका प्रदर्शन संतोषजनक नहीं है, तो सरकार उसे समय से पहले सेवानिवृत्त कर सकती है।

हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय लेने से पहले कर्मचारी की संपूर्ण सेवा रिकॉर्ड, चरित्र पंजिका और गोपनीय रिपोर्ट का गहन अध्ययन किया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित करने के लिए कि निर्णय उचित और निष्पक्ष हो, सभी प्रासंगिक दस्तावेजों का विश्लेषण आवश्यक है।


मामला: कबीर नगर निवासी नागेन्द्र बहादुर सिंह

कबीर नगर रायपुर निवासी नागेन्द्र बहादुर सिंह ने अपनी अनिवार्य सेवानिवृत्ति के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की। सिंह को 30 अक्टूबर 1993 को खाद्य एवं औषधि नियंत्रण विभाग में ड्राइवर के पद पर दैनिक वेतनभोगी के रूप में नियुक्त किया गया था। उनकी सेवाएं 27 अगस्त 2010 को नियमित कर दी गईं और जून 2012 में उनका पदनाम बदलकर ड्राइवर (भारी वाहन) कर दिया गया।

सिंह को 17 नवंबर 2017 को 50 वर्ष की आयु पूरी करने के आधार पर अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर दिया गया। उन्होंने याचिका में दावा किया कि अधिकारी उनकी सेवा का समुचित आकलन करने में विफल रहे और उनका आचरण सेवा के दौरान संतोषजनक था।


कोर्ट का अवलोकन

हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए पाया कि:

  1. याचिकाकर्ता का समग्र ग्रेड औसत या औसत से कम था।
  2. सेवा रिकॉर्ड में प्रस्तुत चार्ट से भी यह स्पष्ट हुआ कि उनका प्रदर्शन मापदंडों के अनुरूप नहीं था।
  3. याचिकाकर्ता ने 50 वर्ष की आयु पूरी कर ली थी, जिससे राज्य के प्राधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति का निर्णय लेने का अधिकार प्राप्त था।

अनिवार्य सेवानिवृत्ति: सज़ा नहीं

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति को सज़ा नहीं माना जा सकता। यह एक प्रशासनिक निर्णय है, जिससे किसी कर्मचारी पर कोई कलंक नहीं लगता। अदालत ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का उल्लेख किया, जिनमें यह स्पष्ट किया गया कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के अधीन नहीं होती।


निष्कर्ष

हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता नागेन्द्र बहादुर सिंह की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि समीक्षा समिति ने नियमों और मापदंडों के तहत उचित प्रक्रिया अपनाकर उनका आकलन किया था। इसके आधार पर राज्य द्वारा लिया गया सेवानिवृत्ति का निर्णय सही है।


Discover more from VPS Bharat

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Related Posts

बिलासपुर हाईकोर्ट अपडेट: सिविल जज परीक्षा के मानदंडों में बदलाव

बिलासपुर हाईकोर्ट ने सिविल जज परीक्षा के लिए बड़ा फैसला सुनाया है। अब लॉ डिग्रीधारी उम्मीदवारों को बार काउंसिल में पंजीकरण की आवश्यकता नहीं होगी और वे सीधे सिविल जज परीक्षा में बैठ सकेंगे। इस फैसले से सरकारी नौकरी करने वाले लॉ डिग्रीधारी भी परीक्षा के योग्य होंगे। इसके अलावा, आवेदन की अंतिम तिथि को एक महीने के लिए बढ़ा दिया गया है, जिससे उम्मीदवारों को और अधिक समय मिल गया है। यह निर्णय उन उम्मीदवारों के लिए राहत का सबब है, जो पहले बार काउंसिल पंजीकरण की शर्त के कारण असमर्थ थे।

मरवाही वनमंडल में बाघिन की सुरक्षा पर संकट, प्रभावित क्षेत्र में स्कूलों की छुट्टी

मरवाही वनमंडल के गौरेला रेंज में एक बाघिन की सुरक्षा संकट में है। बाघिन की तस्वीरें और वीडियो लेने के लिए बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ जुट रही है, जिससे उसकी सुरक्षा पर खतरा बढ़ गया है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में छुट्टी घोषित की है। बाघिन और मानव संघर्ष रोकने के लिए वन विभाग की निष्क्रियता पर सवाल उठ रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *