बिलासपुर में मिशन अस्पताल के संपत्ति का अधिग्रहण जारी
संभाग के सबसे पुराने मिशन अस्पताल की संपत्ति का अधिग्रहण प्रशासन द्वारा निरंतर किया जा रहा है। अब अस्पताल के मुख्य भवन, फार्मेसी और अन्य भवनों पर प्रशासन ने नोटिस चस्पा कर उन्हें अपने अधिपत्य में ले लिया है। यह कदम कमिश्नर कोर्ट से अस्पताल प्रबंधन की अपील खारिज होने के बाद उठाया गया है।
कमिश्नर कोर्ट का फैसला: अस्पताल प्रबंधन की अपील खारिज
4 नवम्बर को कमिश्नर ने मिशन अस्पताल प्रबंधन की अपील को खारिज करते हुए जिला प्रशासन द्वारा लीज निरस्त करने के फैसले को सही ठहराया। इसके बाद, एसडीएम और नजूल विभाग ने अस्पताल परिसर पर भौतिक अधिकार प्राप्त कर लिया है, और अब यहाँ के भवनों का अधिग्रहण किया जा रहा है।
फार्मेसी का लाइसेंस हुआ एक्सपायर
मिशन अस्पताल में संचालित फार्मेसी का लाइसेंस भी अब एक्सपायर हो चुका है। अस्पताल के संचालन की स्थिति भी अब पहले जैसी नहीं रही है। प्रशासन ने पहले ही अस्पताल के पुराने भवनों को अत्यंत जर्जर और खतरनाक घोषित करते हुए इन पर प्रवेश निषेध की सूचना चस्पा कर दी है।
डिसाइपल्स चर्च की याचिका सिविल कोर्ट में लंबित
इस बीच, डिसाइपल्स चर्च के प्रतिनिधियों ने सिविल कोर्ट में याचिका दायर कर मिशन स्कूल की जमीन पर मालिकाना हक का दावा किया है। याचिका में कहा गया है कि 1891 के मिसल अधिकार रिकॉर्ड के अनुसार, 1925 तक यह जमीन चर्च के नाम पर थी, और इसके बाद यह जमीन शासन के नाम पर कैसे आ गई? याचिका में कलेक्टर के आदेश और अधिग्रहण की कार्रवाई को गलत बताते हुए इसे निरस्त करने की मांग की गई है।
प्रशासन का बयान: अधिग्रहण प्रक्रिया के तहत कार्रवाई जारी
नजूल तहसीलदार शिल्पा भगत ने बताया कि मिशन अस्पताल परिसर के भवनों का अधिग्रहण कमिश्नर कोर्ट और प्रशासन के आदेशानुसार किया जा रहा है। अस्पताल परिसर अब नजूल विभाग की संपत्ति है, और फार्मेसी का लाइसेंस भी अब वैध नहीं है।
यह प्रकरण प्रशासन और चर्च के बीच कानूनी विवाद को उजागर करता है, जो आगे बढ़ने की स्थिति में रहेगा।
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