Ad Image

Contact on vpsbharat24@gmail.com for your ad

सेना की ज़मीन से अवैध मुरुम खुदाई: खनिज विभाग को जांच के निर्देश

👇 खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

Listen to this article

छत्तीसगढ़ के चकरभाठा तेलसरा में एयरपोर्ट के पास सेना की ज़मीन से अवैध रूप से मुरुम की खुदाई का मामला अब हाईकोर्ट तक पहुँच चुका है। कोर्ट ने खनिज विभाग को निर्देश दिया है कि वह इस मामले की जांच कर दो सप्ताह के भीतर रिपोर्ट पेश करे। यह मामला तब सामने आया जब यह पता चला कि दो प्रमुख कंस्ट्रक्शन कंपनियों के माध्यम से भारी मात्रा में मुरुम चोरी की गई थी और इसका उपयोग कई बिल्डर्स और ठेकेदारों द्वारा किया गया था।

सुनवाई में सामने आई जानकारी: दो कंपनियों का शामिल होना

सुनवाई के दौरान यह खुलासा हुआ कि बिलासपुर शहर की दो प्रमुख कंस्ट्रक्शन कंपनियाँ – डिवाइन ग्रुप और फॉर्च्यून एलीमेंट, ने सेना की ज़मीन से मुरुम की अवैध खुदाई की। इस मुरुम का उपयोग स्थानीय कॉलोनियों और सड़कों के निर्माण में किया गया था। राज्य शासन की ओर से वकील ने सुनवाई के दौरान 25 दिसंबर 2024 को खनिज विभाग के बिलासपुर अधिकारी द्वारा भेजे गए पत्र की एक प्रति पेश की, जिसमें बिल्डर पवन अग्रवाल को संबोधित किया गया था।

कोर्ट ने फॉर्च्यून एलीमेंट कॉलोनी के मालिक को पार्टी बनाने के निर्देश दिए

मामले की गंभीरता को देखते हुए, कोर्ट ने फॉर्च्यून एलीमेंट कॉलोनी के मालिक पवन अग्रवाल को पक्षकार बनाने का निर्देश दिया था। इसके अलावा, कोर्ट को बताया गया कि अग्रवाल को पहले ही नोटिस जारी कर दिया गया था। सुनवाई में यह भी सामने आया कि मुरुम का सौदा अन्य ठेकेदारों और बिल्डर्स के साथ भी किया गया था, जिनकी संख्या 54 बताई जा रही है। इन ठेकेदारों और बिल्डर्स ने इस अवैध मुरुम का इस्तेमाल अपने निर्माण कार्यों के लिए किया था।

सेना ने पहले ही कलेक्टर से की थी शिकायत

सेना की ज़मीन से अवैध मुरुम खुदाई

केंद्र सरकार की ओर से उप सॉलिसिटर जनरल रमाकांत मिश्रा ने कोर्ट को जानकारी दी कि सेना की भूमि से अवैध खनन को रोकने के लिए पहले ही कलेक्टर बिलासपुर से शिकायत की जा चुकी थी। सेना ने इस अवैध खनन की जानकारी कलेक्टर को पहले ही दे दी थी और उनसे इसे रोकने की अपील की थी। इस बीच, खनिज विभाग ने मामले की गंभीरता को समझते हुए जांच शुरू कर दी है और कोर्ट को भरोसा दिलाया है कि वह जल्द ही रिपोर्ट पेश करेंगे।

खनिज विभाग ने दो सप्ताह का समय लिया जांच रिपोर्ट के लिए

खनिज विभाग ने मामले की जांच के लिए दो सप्ताह का समय लिया है। विभाग ने आश्वासन दिया कि पूरी जांच की प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से की जाएगी। खनिज विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अवैध खनन के मामलों को सुलझाने के लिए वे सभी आवश्यक कदम उठा रहे हैं और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। कोर्ट ने कहा है कि वह अगले दो सप्ताह में विभाग द्वारा पेश की गई रिपोर्ट के आधार पर अगली सुनवाई करेगा।

मामले की गंभीरता और निर्माण उद्योग पर असर

यह मामला निर्माण उद्योग के लिए भी एक चेतावनी बन सकता है, क्योंकि अवैध खनन के ऐसे मामलों से न केवल सरकारी संपत्ति का नुकसान होता है, बल्कि इससे पर्यावरण पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है। अवैध खनन से होने वाली नुकसान की भरपाई करना एक चुनौती हो सकती है और इसे रोकने के लिए कड़ी निगरानी और क़ानूनी कार्रवाई की आवश्यकता है।

निष्कर्ष: न्याय की उम्मीद

इस अवैध मुरुम खुदाई मामले में न्याय की उम्मीद की जा रही है, क्योंकि कोर्ट ने खनिज विभाग को कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। अब देखना यह है कि खनिज विभाग कितनी जल्दी रिपोर्ट प्रस्तुत करता है और दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है। इस मामले से यह स्पष्ट होता है कि सरकारी भूमि और संसाधनों का संरक्षण करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए, ताकि इस तरह के अवैध कार्यों पर अंकुश लगाया जा सके।

खनिज विभाग और प्रशासन की जिम्मेदारी

खनिज विभाग और प्रशासन की यह जिम्मेदारी है कि वे किसी भी अवैध खनन को रोकने के लिए सख्त कदम उठाएं। यदि इस मामले में किसी भी दोषी को नहीं पकड़ा जाता है, तो यह न केवल न्याय व्यवस्था के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा करेगा, बल्कि यह भी दर्शाएगा कि सरकारी भूमि और संसाधनों का संरक्षण करने में प्रशासन की नाकामी हो सकती है।

अवैध मुरुम खुदाई पर कड़ी निगरानी जरूरी

अवैध मुरुम खुदाई पर कड़ी निगरानी रखना आवश्यक है, क्योंकि इस तरह के कार्य न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि यह अन्य ठेकेदारों और बिल्डर्स को भी गलत तरीके से लाभ पहुंचाने का एक साधन बन सकते हैं। खनिज विभाग को अवैध खनन पर अंकुश लगाने के लिए अधिक प्रभावी और सख्त कदम उठाने होंगे।


Discover more from VPS Bharat

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Related Posts

बिलासपुर हाईकोर्ट अपडेट: सिविल जज परीक्षा के मानदंडों में बदलाव

बिलासपुर हाईकोर्ट ने सिविल जज परीक्षा के लिए बड़ा फैसला सुनाया है। अब लॉ डिग्रीधारी उम्मीदवारों को बार काउंसिल में पंजीकरण की आवश्यकता नहीं होगी और वे सीधे सिविल जज परीक्षा में बैठ सकेंगे। इस फैसले से सरकारी नौकरी करने वाले लॉ डिग्रीधारी भी परीक्षा के योग्य होंगे। इसके अलावा, आवेदन की अंतिम तिथि को एक महीने के लिए बढ़ा दिया गया है, जिससे उम्मीदवारों को और अधिक समय मिल गया है। यह निर्णय उन उम्मीदवारों के लिए राहत का सबब है, जो पहले बार काउंसिल पंजीकरण की शर्त के कारण असमर्थ थे।

टोल टैक्स बचाने की कोशिश में बड़ा हादसा, गांव की सड़क पर दौड़ रहा था ट्रेलर

रतनपुर के लिम्हा गांव में एक दर्दनाक हादसे ने सभी को झकझोर दिया। टोल टैक्स बचाने के चक्कर में बेकाबू ट्रेलर एक घर में जा घुसा, जिससे 4 साल की मासूम सौम्या की मौत हो गई और चार लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। घटना ने सड़क सुरक्षा और जिम्मेदारी की अनदेखी के खतरों को फिर से उजागर किया। पुलिस ने ट्रेलर चालक को गिरफ्तार कर लिया है, और घायलों का इलाज जारी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *