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मामला: महिला सीएमएचओ को हटाने का आदेश खारिज
हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि जूनियर अफसर को सीनियर के ऊपर नियुक्त करना नियमों के खिलाफ है। जांजगीर-चांपा जिले की महिला चीफ मेडिकल हेल्थ ऑफिसर (सीएमएचओ) डॉ. स्वाति वंदना सिसोदिया को हटाकर उनके जूनियर डॉ. मनोज बर्मन को सीएमएचओ नियुक्त करने के शासन के आदेश को कोर्ट ने खारिज कर दिया।
प्रकरण का विवरण
डॉ. स्वाति सिसोदिया, जो एक गायनोलॉजिस्ट और प्रदेश में वरिष्ठता क्रम में पांचवें स्थान पर हैं, को मार्च 2024 में जांजगीर-चांपा जिले का सीएमएचओ नियुक्त किया गया था। लेकिन मात्र 5 महीने बाद, अगस्त 2024 में, उन्हें हटाकर जांजगीर जिला अस्पताल में गायनोलॉजिस्ट के पद पर भेज दिया गया और डॉ. मनोज बर्मन, जो एक जूनियर अधिकारी हैं, को सीएमएचओ का प्रभार दे दिया गया।
डॉ. सिसोदिया ने इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
याचिकाकर्ता के तर्क
याचिकाकर्ता के वकील हिमांशु पांडेय ने कोर्ट में प्रस्तुत किया:
- सीनियरिटी: डॉ. सिसोदिया, क्लास 1 अधिकारी होने के साथ-साथ प्रदेश में पांचवें नंबर की सबसे वरिष्ठ डॉक्टर हैं।
- योग्यता: डॉ. सिसोदिया, एमबीबीएस और गायनोलॉजिस्ट विशेषज्ञ हैं, जबकि उनके स्थान पर नियुक्त डॉ. मनोज बर्मन केवल एमबीबीएस और क्लास 2 अधिकारी हैं।
- पद की गरिमा: सीएमएचओ का पद क्लास 1 अधिकारी का होता है, जिस पर क्लास 2 अधिकारी को नियुक्त करना अनुचित है।
कोर्ट का फैसला
जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की सिंगल बेंच ने शासन के आदेश को खारिज करते हुए कहा कि:
- जूनियर को सीनियर के ऊपर नियुक्त करना नियमों के खिलाफ है।
- डॉ. सिसोदिया को सीएमएचओ पद पर बनाए रखा जाए।
- डॉ. सिसोदिया को 15 दिनों के भीतर स्वास्थ्य सचिव के समक्ष अपनी अभ्यावेदन प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया।
- स्वास्थ्य सचिव को 35 दिनों के भीतर सीनियरिटी को ध्यान में रखते हुए मामले का निराकरण करने के निर्देश दिए गए।
निष्कर्ष
इस निर्णय से यह स्पष्ट हुआ कि वरिष्ठता और पद की गरिमा के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट ने डॉ. सिसोदिया को सीएमएचओ पद पर बने रहने का आदेश देकर नियमों का पालन सुनिश्चित किया।
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