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Makar Sankranti 2025: जानें मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, और इस पावन पर्व की अद्भुत महिमा

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मकर संक्रांति भारत के प्रमुख पर्वों में से एक है, जिसे धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के साथ मनाया जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ माह की प्रतिपदा तिथि पर इस पर्व को मनाया जाता है। इस वर्ष मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी, जब आत्मा के कारक सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में गोचर करेंगे।

मकर संक्रांति: 14 या 15 जनवरी को?

मकर संक्रांति के दिनांक को लेकर हर साल थोड़ा संशय बना रहता है। यह पर्व सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश (गोचर) के समय पर आधारित है, जो खगोलीय गणना पर निर्भर करता है।

ज्योतिष के अनुसार, 14 जनवरी को प्रातः 9:03 बजे सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। यह राशि परिवर्तन सूर्य की स्थिति में ऊर्जा का बदलाव लाता है, जिसे हिंदू धर्म में अत्यधिक शुभ माना जाता है। मकर संक्रांति का पर्व सूर्य के इस गोचर पर आधारित है। लेकिन, कई जगहों पर यह पर्व 15 जनवरी को भी मनाया जाता है।

मकर संक्रांति

इस अंतर का कारण यह है कि भारतीय पंचांग और विभिन्न परंपराओं में थोड़े बदलाव होते हैं। कुछ स्थानों पर सूर्योदय को पर्व का आरंभ मानते हुए 15 जनवरी को त्योहार मनाने का रिवाज है। वहीं, अधिकतर लोग 14 जनवरी को ही मकर संक्रांति के शुभ समय में पूजा-पाठ और दान कर पुण्य अर्जित करते हैं। लेकिन खगोलीय दृष्टि से 14 जनवरी को सूर्य का मकर राशि में प्रवेश हो रहा है, इसलिए इस दिन पूजा और दान का विशेष महत्व रहेगा।

मकर संक्रांति का समय और पुण्यकाल

इस वर्ष मकर संक्रांति पर पुण्य काल प्रातः 9:03 बजे से प्रारंभ होकर संध्या 5:46 बजे तक रहेगा। इस अवधि को अत्यधिक शुभ माना जाता है, जिसमें स्नान, ध्यान, पूजा, जप, तप, और दान करना पुण्यकारी होता है। महा पुण्य काल सुबह 9:03 बजे से 10:48 बजे तक रहेगा। इस दौरान सूर्य देव की विशेष कृपा प्राप्ति के लिए पूजा और दान करने का महत्व बताया गया है।


धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

मकर संक्रांति धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। इसे आत्मा और शरीर की शुद्धि, समाजिक एकता, और परंपरागत मूल्यों को समर्पित त्योहार माना जाता है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने, सूर्य देव की पूजा करने, और अन्न-दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।

प्रमुख परंपराएं

खिचड़ी: कई स्थानों पर खिचड़ी बनाने और इसे प्रसाद के रूप में वितरित करने की परंपरा है। इसे गरीबों और जरूरतमंदों में बांटकर समाजिक सेवा की भावना व्यक्त की जाती है।

तिल-गुड़ बांटना: यह पर्व आपसी सद्भाव का प्रतीक है। तिल और गुड़ बांटने की परंपरा इस त्योहार का अभिन्न हिस्सा है। इसका संदेश है: “तिल गुड़ घ्या, गोड गोड बोला।”

पतंगबाजी: उत्तर भारत और गुजरात में पतंग उड़ाना इस पर्व की एक प्रमुख गतिविधि है। आकाश में रंग-बिरंगी पतंगों का दृश्य उत्साह और उल्लास का प्रतीक है।


मकर संक्रांति की पूजा विधि

इस शुभ दिन पर सूर्योदय से पूर्व उठकर सूर्य देव को प्रणाम करें। घर की साफ-सफाई कर गंगाजल का छिड़काव करें। यदि संभव हो, तो किसी पवित्र नदी में स्नान करें। अगर ऐसा न हो सके तो स्नान के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।

स्नान के बाद पीले वस्त्र धारण करें और सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। अंजलि में तिल लें और उसे बहते जल में प्रवाहित करें। इसके बाद पंचोपचार से सूर्य देव की पूजा करें। पूजा के दौरान सूर्य चालीसा का पाठ और आरती करें। अंत में अन्न, वस्त्र, और धन का दान करें।

पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान करने से विशेष फल मिलता है। इस दिन तिल और गुड़ के बने पकवानों का सेवन करें और दूसरों को भी प्रसाद के रूप में वितरित करें।


मकर संक्रांति 2025: एक नई शुरुआत

मकर संक्रांति

इस वर्ष मकर संक्रांति आत्मा और शरीर की शुद्धि, सामाजिक एकता, और नई ऊर्जा का प्रतीक है। सूर्य देव का मकर राशि में प्रवेश नई संभावनाओं और सकारात्मकता का संकेत है। इस शुभ अवसर पर पूजा, दान, और सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेकर अपने जीवन को धन्य बनाएं।


मकर संक्रांति का महत्व

मकर संक्रांति न केवल खगोलीय घटना है, बल्कि यह एक सामाजिक और आध्यात्मिक पर्व भी है। यह दिन सूर्य की उत्तरायण यात्रा की शुरुआत का प्रतीक है। उत्तरायण को शुभ और सकारात्मकता से भरपूर माना जाता है। इस समय किए गए कार्यों का परिणाम कई गुना अधिक लाभदायक होता है।

सूर्य की मकर राशि में गोचर से फसल का मौसम भी शुरू होता है। इस दिन लोग तिल और गुड़ के व्यंजनों का आदान-प्रदान करते हैं। यह एकता और सौहार्द का प्रतीक है।


पर्व से जुड़ी परंपराएं

मकर संक्रांति पर देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग परंपराएं निभाई जाती हैं।

  1. उत्तर भारत में गंगा स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है।
  2. पश्चिम भारत में पतंग उत्सव बड़े जोश के साथ मनाया जाता है।
  3. दक्षिण भारत में इसे पोंगल के रूप में मनाते हैं, जिसमें फसल की पूजा होती है।
  4. पूर्वोत्तर भारत में बिहू उत्सव के साथ यह दिन नई फसलों की खुशी का प्रतीक है।

मकर संक्रांति पर विशेष संदेश

मकर संक्रांति के अवसर पर, अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर त्योहार का आनंद लें। इस दिन की सकारात्मक ऊर्जा को अपने जीवन में अपनाएं और दूसरों के साथ इसे साझा करें।

“तिल गुड़ घ्या, गोड गोड बोला” – इस संदेश के साथ सभी को मकर संक्रांति की शुभकामनाएं!


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