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अपने अवैध प्रवासी वापस बुलाएगा भारत
अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने सोमवार को शपथ लेने के ठीक बाद ताबडतोड़ कई कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए। इनमें जन्मसिद्ध अमरीकी नागरिकता (बर्थ राइट सिटीजनशिप) समाप्त करना भी शामिल है। यह आदेश सुनिश्चित करेगा कि विदेशी पासपोर्ट धारकों के बच्चों को अब अमरीकी नागरिक नहीं माना जाएगा। इसमें वे लोग भी शामिल हैं जो अमरीका में एच1बी वीजा लेकर कानूनी रूप से रह रहे हैं और लंबे समय से ग्रीन कार्ड मिलने का इंतजार कर रहे हैं, जैसे स्टूडेंट और वर्क वीजा पर रहने वाले लोग। ऐसे लोगों में भारतवंशियों की संख्या 10 लाख हो सकती है, जिनपर इस फैसले का असर पड़ सकता है।
इसके अतिरिक्त, अवैध तरीके से अमरीका में दाखिल होने वाले लोगों को डिपोर्ट करने के लिए भी कड़े कदम उठाए गए हैं। एक अनुमान है कि इससे करीब सात लाख अवैध अप्रवासी भारतीयों के समक्ष भी निकाले जाने का खतरा पैदा हो गया है। हालांकि, एक मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया कि भारत सरकार अमरीका में अवैध रूप से रह रहे भारतीयों को बुलाने पर सहमत हो गई है। यह भी दावा किया गया कि दोनों देशों की सरकारों ने अबतक करीब 18 हजार ऐसे भारतीयों की पहचान भी कर ली है जिन्हें संयुक्त प्रयास से वापस बुलाया जाएगा। हालांकि भारत सरकार की तरफ से इस बारे में कोई बयान नहीं आया है और न ही आधिकारिक तौर पर इस बयान की पुष्टि की गई है।
इसके अतिरिक्त, ट्रंप ने 6 जनवरी 2021 में कैपिटल हिल हमले के दोषी 1500 से अधिक समर्थकों को माफी दे दी। ये हमले पिछले चुनाव में ट्रंप की हार के बाद उनके समर्थकों ने किए थे। इनमें दोषियों को अधिकतम 22 साल तक की सजा हुई थी। नवनियुक्त राष्ट्रपति के आदेशों में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और पेरिस जलवायु समझौते से बाहर आना शामिल हैं। इन फैसलों का भारत सहित दुनिया पर व्यापक असर होने की आशंका जताई जा रही है। इसकी प्रतिक्रिया में नागरिकों के संगठनों ने अदालत का दरवाजा भी खटखटा दिया है।
भारतीयों पर कैसे पड़ेगा असर
ताजा जनगणना के अनुसार, अमरीका में 54 लाख से अधिक भारतीय हैं, जो अमरीकी आबादी का लगभग 1.47 फीसदी हैं। इनमें दो-तिहाई अप्रवासी हैं, जबकि 34% अमरीका में जन्मे हैं। यदि ट्रंप के कदम को लागू किया जाता है, तो अस्थायी वर्क वीजा या टूरिस्ट वीजा पर अमरीका में रहने वाले भारतीय नागरिकों के बच्चों को अब स्वत: नागरिकता नहीं मिलेगी। एक अनुमान है कि इस फैसले का असर उन 10 लाख भारतीयों पर असर पड़ेगा जो लंबे समय से ग्रीन कार्ड के लिए कतार में हैं जिनकी मां वैध रूप से लेकिन अस्थायी तौर पर अमरीका में हैं। कार्यकारी आदेश का उद्देश्य देश में बर्थ टूरिज्म के ट्रेंड को समाप्त करना भी है। बर्थ टूरिज्म एक ऐसे ट्रेंड को कहते हैं जिसमें कोई महिला बच्चे को जन्म देने के लिए ही अमरीका की यात्रा करती है।

क्या यह तुरंत लागू होगा?
- ट्रंप का आदेश 20 फरवरी तक प्रभावी होने वाला है, लेकिन इसके लिए कानूनी बाधाओं का सामना करना पड़ेगा। जन्मसिद्ध नागरिकता संविधान समर्थित है। कई विशेषज्ञ मान रहे हैं कि इसे सिर्फ कार्यकारी आदेश से ही नहीं बदला जा सकता।
- इस आदेश से समाज के कुछ वर्गों में आक्रोश है। कई लोग फैसले के खिलाफ हैं। अप्रवासी और नागरिक अधिकार संगठन (जिसमें अमरीकी सिविल लिबर्टीज यूनियन भी शामिल हैं) ने सोमवार को इस आदेश के खिलाफ मुकदमा दायर किया।
जन्मसिद्ध नागरिकता
- जन्मसिद्ध नागरिकता वह कानूनी सिद्धांत है जिसके अनुसार बच्चे उस देश की नागरिकता प्राप्त करते हैं, जिसमें उनका जन्म हुआ है। भले ही उनके माता-पिता की राष्ट्रीयता या इमिग्रेशन स्टेटस कुछ भी हो।
- अमरीकी संविधान में 14वें संशोधन के बाद अमरीका की धरती पर पैदा हुए लगभग सभी बच्चों को नागरिक माना जाने लगा है। यह नियम 1868 में गृह युद्ध के बाद अपनाया गया था।
- ट्रंप के आदेश से अमरीका में जन्मे ऐसे बच्चे, जिनके माता-पिता में से कम से कम एक नागरिक या वैध निवासी नहीं हो, अब अमरीकी नागरिकता नहीं मिलेगी। आदेश की पालना के लिए 30 दिन का समय दिया गया है।
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