
👇 खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक 21 साल पुराने मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए तीन किसानों को बिजली करंट से हुई मौत के मामले में दोषमुक्त कर दिया है। कोर्ट ने माना कि यह दुर्घटना मृतक की स्वयं की लापरवाही के कारण हुई और इसके लिए किसानों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
यह मामला मई 2004 का है, जब सरगुजा जिले के सीतापुर थाना अंतर्गत तेलईधार गांव के तीन किसानों—शमीम खान और उनके दो साथियों—ने गेहूं की फसल निकालने के लिए एक थ्रेशर मशीन लगवाई थी। इस मशीन को बिजली पोल से जोड़ने के लिए उन्होंने गांव के ही शाहजहां नामक युवक को बुलाया, जो पेशे से इलेक्ट्रीशियन नहीं था, बल्कि मैकेनिकल कार्य करता था।
शाहजहां शाम करीब 3-4 बजे के बीच बिजली पोल पर चढ़कर थ्रेशर के लिए लाइन जोड़ने का प्रयास कर रहा था, तभी उसे करंट लगा और वह बुरी तरह झुलस गया। गंभीर हालत में उसे पहले सीतापुर के अस्पताल और फिर रायपुर ले जाया जा रहा था, लेकिन रास्ते में ही उसकी मृत्यु हो गई।
किसानों पर गैर इरादतन हत्या का आरोप
इस घटना के बाद सीतापुर पुलिस ने जांच कर तीनों किसानों के खिलाफ धारा 304 ए (गैर इरादतन हत्या) के तहत मामला दर्ज किया और न्यायालय में चालान पेश किया। अंबिकापुर न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी ने किसानों को छह-छह महीने की कैद और 400 रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई। किसानों ने इस फैसले को सत्र न्यायालय में चुनौती दी, लेकिन साल 2010 में सत्र न्यायालय ने उनकी अपील खारिज कर दी।
इसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा, जहाँ 21 वर्षों तक चली कानूनी लड़ाई के बाद मई 2025 में अदालत ने तीनों किसानों को दोषमुक्त कर दिया।
हाईकोर्ट ने मृतक को ठहराया हादसे का जिम्मेदार

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मृतक शाहजहां वयस्क और मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति था। वह प्रशिक्षित इलेक्ट्रीशियन नहीं था और सामान्य ज्ञान के आधार पर उसे यह जानकारी होनी चाहिए थी कि बिजली के खंभे पर चढ़ना जानलेवा हो सकता है। इसके बावजूद उसने यह खतरा उठाया।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि किसानों ने उस पर खंभे पर चढ़ने के लिए कोई दबाव नहीं डाला था। गवाहों के बयानों से यह स्पष्ट हुआ कि शाहजहां ने स्वयं की इच्छा से कार्य किया और यह दुर्घटना उसकी व्यक्तिगत लापरवाही का परिणाम थी।
21 साल बाद मिली इंसाफ की सांस
तीनों किसान अब न्याय की इस लंबी लड़ाई से मुक्त हुए हैं। हाईकोर्ट का यह फैसला न केवल उनके लिए राहत का कारण बना, बल्कि यह उदाहरण भी प्रस्तुत करता है कि दुर्घटनाओं की ज़िम्मेदारी तय करते समय परिस्थितियों और व्यक्ति की समझदारी का भी समुचित मूल्यांकन होना चाहिए।
Discover more from VPS Bharat
Subscribe to get the latest posts sent to your email.