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हाईकोर्ट का फैसला:
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के उस आदेश को सही ठहराया है, जिसमें मृत एसईसीएल कर्मचारी मुनिराम कुर्रे की अवैध संतान विक्रांत कुमार को अनुकंपा नियुक्ति देने का निर्देश दिया गया था।
मुख्य बिंदु:
- अनुकंपा नियुक्ति का अधिकार:
डिवीजन बेंच ने कहा कि मृतक की संतान को केवल इस आधार पर नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता कि वह नाजायज है। - अनुमति की आवश्यकता नहीं:
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि नियुक्ति के लिए मृतक की पहली पत्नी सुशीला कुर्रे की सहमति आवश्यक नहीं है। - सिंगल बेंच के आदेश की पुष्टि:
डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश पर मुहर लगाते हुए अनुकंपा नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया।
मामले की पृष्ठभूमि:
- मृतक कर्मचारी:
मुनिराम कुर्रे, एसईसीएल में आर्म गार्ड के पद पर कार्यरत थे और उनकी मृत्यु 25 मार्च 2004 को हुई। - परिवार:
- पहली पत्नी: सुशीला कुर्रे (ग्रेच्युटी फॉर्म में नामांकित)।
- दूसरी पत्नी: विमला कुर्रे (पेंशन फॉर्म में नामांकित)।
- दूसरी पत्नी के साथ चार बेटियां और एक बेटा विक्रांत कुमार।
- एसईसीएल का तर्क:
मृतक ने पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी की थी, जो अवैध है। इसलिए, विक्रांत कुमार अनुकंपा नियुक्ति के हकदार नहीं हो सकते।
न्यायालय का निर्णय:
- विक्रांत का अधिकार:
उत्तराधिकार न्यायालय ने विक्रांत कुमार को मृतक की संतान मानते हुए अनुकंपा नियुक्ति का हकदार माना। - एसईसीएल का तर्क खारिज:
हाईकोर्ट ने कहा कि मृतक की दूसरी शादी की वैधता अनुकंपा नियुक्ति के अधिकार को प्रभावित नहीं करती।
महत्वपूर्ण टिप्पणी:
डिवीजन बेंच ने स्पष्ट किया कि न्यायालय का हस्तक्षेप केवल कानूनी अधिकारों की व्याख्या तक सीमित है। इस मामले में विक्रांत कुमार को अनुकंपा नियुक्ति देने में कोई बाधा नहीं है।
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