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बिलासपुर। प्राकृतिक आपदा और नक्सली घटनाओं के समय जान बचाने के लिए एक क्रांतिकारी कदम उठाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर आरोग्य मैत्री प्रोजेक्ट के तहत दुनिया का पहला पोर्टेबल हॉस्पिटल अब AIIMS रायपुर पहुंच गया है। इसका उद्घाटन छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने किया। इस पोर्टेबल अस्पताल की खासियत यह है कि यह कहीं भी, कभी भी, किसी भी परिस्थिति में 200 मरीजों का इलाज कर सकता है। अब इसे आम लोगों और मेडिकल स्टाफ के बीच जागरूकता अभियान के माध्यम से समझाया जाएगा कि यह कैसे काम करता है।
इस पोर्टेबल अस्पताल को BHISM (Bharat Health Initiative for Sahyog, Maitri) प्रोजेक्ट के तहत तैयार किया गया है। कुल 800 किलोग्राम वजनी इस हॉस्पिटल में दो पैलेट स्टैंड हैं, जिनमें 72 क्यूब होते हैं। हर क्यूब का वजन करीब 20 किलोग्राम है और ये पूरी तरह फायर और वाटरप्रूफ हैं। जरूरत पड़ने पर इन्हें पैदल, साइकिल, बाइक या किसी छोटे वाहन से भी दुर्गम क्षेत्रों में ले जाया जा सकता है।
हर क्यूब में अलग-अलग काम का सामान है। कुछ में रेस्क्यू के लिए स्ट्रेचर, बेड, और अन्य जरूरी उपकरण होते हैं, तो कुछ में ऑपरेशन थिएटर और सर्जिकल उपकरण होते हैं। एक क्यूब में लैब टेस्ट के लिए पूरा सेटअप होता है, जिसमें 20 तरह की जांचें की जा सकती हैं। यहां तक कि इसमें एक एक्स-रे मशीन भी है जो चंद सेकंड में रिपोर्ट दे सकती है।
सभी क्यूब्स को एक खास BHISM एप से जोड़ा गया है, जिससे स्कैन करके यह पता लगाया जा सकता है कि किस क्यूब में क्या है। इसमें सोलर पैनल और जेनसेट भी है, जिससे बिजली न होने पर भी इलाज में कोई रुकावट न आए।
इस चलता-फिरता अस्पताल में बुलेट इंजरी, स्पाइनल चोट, जलने की घटनाएं, स्नेक बाइट और अन्य इमरजेंसी का इलाज संभव है। यह अस्पताल स्वास्थ्य मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के समन्वय से तैयार हुआ है और यह आपदा या संघर्ष वाले इलाकों में एक संजीवनी साबित हो सकता है।
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