Ad Image

Contact on vpsbharat24@gmail.com for your ad

श्री तोखन साहू- “छत्तीसगढ़ के रोम-रोम और कण-कण में बसे हैं प्रभु श्री राम”

👇 खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

Listen to this article

श्री रामचरित मानस पाठ में भागीदारी

केन्द्रीय आवासन एवं शहरी कार्य राज्य मंत्री श्री तोखन साहू ने आज बिलासपुर के रामावैली आवासीय सहकारी समिति द्वारा श्री राम मंदिर प्रांगण में आयोजित श्री राम चरित मानस – अखण्ड रामायण पाठ में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने प्रभु श्री रामचन्द्र से आशीर्वाद लिया और देशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की।

छत्तीसगढ़ में प्रभु श्री राम का गहरा संबंध

श्री साहू ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा, “छत्तीसगढ़ के कण-कण और रोम-रोम में प्रभु श्रीराम बसे हैं। वनवास के दौरान भगवान श्रीराम ने 14 वर्षों में से 10 साल छत्तीसगढ़ में ही बिताए। यहां की धरती पर उन्होंने नंगे पैर यात्रा की है। इस भूमि का अत्यधिक महत्व है, क्योंकि यह भगवान राम की लीलाओं को समेटे हुए है। श्रीराम दंडकारण्य (वर्तमान बस्तर) सहित अन्य कई स्थानों पर निवास करते हुए ऋषि-मुनियों से शिक्षा ली और असुरों का संहार किया। आज भी छत्तीसगढ़ के वनांचल क्षेत्रों में प्रभु श्रीराम के वनवास काल की यादें बिखरी हुई हैं। इन स्मृतियों को संजोने का प्रयास किया जा रहा है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि छत्तीसगढ़ की कण-कण और रोम-रोम में श्रीराम बसे हुए हैं।”

राम का हमारे दैनिक जीवन में महत्व

श्री साहू ने आगे कहा, “राम हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। हमारे गांवों में व्यक्ति सुबह उठते ही ‘राम-राम’ कहते हैं, किसी से मिलते समय शिष्टाचार में ‘जय श्रीराम’ बोलते हैं, और यहां तक कि जब धान को काठा में नापते हैं तो भी ‘राम-राम’ कहते हैं। श्रीराम हमारे पूरे संस्कार और संस्कृति का हिस्सा हैं।”

छत्तीसगढ़ में श्रीराम को भांजा क्यों माना जाता है

उन्होंने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ में प्रभु श्रीराम को ‘भांजा’ माना जाता है। श्री साहू ने कहा, “पूरे देश में शायद छत्तीसगढ़ ही ऐसा राज्य है, जहां लोग अपने भांजे के पैर छूकर प्रणाम करते हैं। कहते हैं कि दक्षिण कोसल श्रीराम का ननिहाल था, इसलिए उन्हें समूचे छत्तीसगढ़ का भांजा माना जाता है और यहां के लोग उन्हें श्रद्धा पूर्वक प्रणाम करते हैं। यह परंपरा पूरे प्रदेश में प्रचलित है।”

श्रीराम की उपासना और संस्कृति में उनका योगदान

श्री साहू ने यह भी स्पष्ट किया कि श्रीराम की उपासना और उनकी लीला छत्तीसगढ़ के लोगों की जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा है और यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।


Discover more from VPS Bharat

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Related Posts

आठ दिन की गुप्त नवरात्र साधना के लिए होगी फलदायी

माघ मास के गुप्त नवरात्र इस बार 30 जनवरी से 6 फरवरी तक विशेष शुभ योगों में आयोजित हो रहे हैं। महाकुंभ प्रयाग के पवित्र समय में शुरू हो रहे इन नवरात्रों में मां दुर्गा और 10 महाविद्याओं की साधना से मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। वसंत पंचमी और नर्मदा जयंती जैसे पर्व भी इस दौरान मनाए जाएंगे। तंत्र साधना और मंत्र जाप से सुख-शांति, संतान सुख, और आर्थिक समस्याओं का समाधान पाने का यह उत्तम अवसर है।

MahaKumbh 2025: छत्तीसगढ़ से अजय निषाद की 600 किलोमीटर की स्केटिंग यात्रा, महाकुंभ मेला में श्रद्धा और साहस की अद्भुत मिसाल

अजय ने अपनी यात्रा के दौरान न केवल अपने शौक को पूरे किया, बल्कि अपने हौसले और समर्पण से यह साबित किया कि उत्साह और श्रद्धा के बीच कोई दूरी नहीं होती। स्केटिंग के प्रति उनकी दीवानगी और महाकुंभ के प्रति श्रद्धा ने उन्हें इस अद्भुत यात्रा पर भेजा, जो न सिर्फ एक शारीरिछत्तीसगढ़ के छोटे से गांव सकरेली से अजय निषाद ने महाकुंभ मेला तक अपनी अद्भुत यात्रा शुरू की है। 600 किलोमीटर की स्केटिंग यात्रा के दौरान अजय का उद्देश्य केवल अपनी स्केटिंग की दीवानगी को नहीं, बल्कि आध्यात्मिक साधना को भी पूरी श्रद्धा से अर्पित करना था। इस साहसिक और आध्यात्मिक यात्रा में अजय ने न सिर्फ स्केटिंग के अपने जुनून को चुनौती दी, बल्कि एक महान धार्मिक आयोजन का हिस्सा बनने के लिए अपनी पूरी शक्ति लगा दी। अजय की यह यात्रा न केवल उनकी मेहनत और समर्पण की मिसाल है, बल्कि यह लाखों श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है।क चुनौती थी, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव भी था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *