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बिलासपुर। यौन उत्पीड़न पीड़ितों को सुरक्षित माहौल देने और न्यायालयीन अभिलेखों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सूरजपुर में नवीन अभिलेखागार और विश्राम कक्ष का वर्चुअल लोकार्पण शुक्रवार को किया गया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस ए.के. प्रसाद की गरिमामयी उपस्थिति रही।
न्यायिक अभिलेखों की सुरक्षा को प्राथमिकता
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए चीफ जस्टिस सिन्हा ने बताया कि सूरजपुर जिला न्यायालय के निरीक्षण के दौरान पता चला कि 1949 से पुराने अभिलेख मौजूद हैं, लेकिन उनके रखरखाव के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं थीं। नए अभिलेखागार के निर्माण से अब ये दस्तावेज संरक्षित और सुव्यवस्थित रहेंगे।
यौन उत्पीड़न पीड़ितों के लिए सुरक्षित माहौल
चीफ जस्टिस ने विश्राम कक्ष के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यौन उत्पीड़न से पीड़ितों, खासकर पाक्सो एक्ट के अंतर्गत आने वाले मामलों में, पीड़ित बच्चों को न्यायालय में पेशी के दौरान अधिक सुरक्षा और सहजता का अनुभव होना चाहिए। यह नया विश्राम कक्ष पीड़ितों को साक्ष्य देने में किसी भी प्रकार की असुविधा से बचाने में सहायक होगा।
न्यायिक अधोसंरचना के विकास पर जोर
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा न्यायिक अधोसंरचना को अपनी प्राथमिकता बताते हुए कहा कि न्यायालय भवन, अभिलेखागार, साक्षी विश्राम कक्ष और न्यायिक डिजिटलाइजेशन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इस वर्चुअल लोकार्पण कार्यक्रम में रजिस्ट्रार जनरल, रजिस्ट्री के अधिकारीगण, सूरजपुर के जिला न्यायाधीश, न्यायिक व प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस अधिकारी और अधिवक्ता उपस्थित रहे।

इस पहल से न्याय प्रक्रिया को अधिक सुगम, सुरक्षित और पीड़ित केंद्रित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।
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