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हसदेव क्षेत्र में पुनर्वनीकरण का सफल मॉडल: 15.68 लाख पेड़ बने नया जंगल

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सरगुजा – राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) के एमडीओ एजेंट द्वारा हसदेव क्षेत्र में खनन के बाद भूमि पुनर्वास के तहत एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की गई है। गत वर्ष, बागवानी विभाग ने 4 लाख नए पौधे रोपकर इस पहल को आगे बढ़ाया, जिससे कुल 15.68 लाख पेड़ों का एक नया जंगल विकसित हो चुका है। यह 1200 एकड़ क्षेत्र में फैला है, जहां साल के वृक्षों की नर्सरी के साथ महुआ, खैर, बरगद, बीजा, हर्रा, बहेरा सहित कई अन्य प्रजातियों के पेड़ शामिल हैं।

खनन के बाद हरियाली की पुनर्स्थापना

आरआरवीयूएनएल की परसा ईस्ट केते बासेन खदान (पीईकेबी), जो सरगुजा जिले के उदयपुर तहसील में स्थित है, में 2012 से खनन कार्य प्रारंभ हुआ। वन विभाग द्वारा नियमानुसार कुछ वृक्षों का कटाव किया गया, लेकिन इसके बदले विभाग ने अब तक 51 लाख से अधिक पेड़ लगाए हैं। खासतौर पर साल के पौधों का रोपण 2012 में मात्र 200 से शुरू होकर 2025 तक 4 लाख के आंकड़े तक पहुंच चुका है।

पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता की पुनर्स्थापना

पौधों की सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन तकनीक का उपयोग किया गया है, जिससे ये पेड़ अब एक समृद्ध जंगल का रूप ले चुके हैं। इस हरियाली की वापसी के साथ अब इस क्षेत्र में पक्षियों ने घोंसले बनाना शुरू कर दिया है, वहीं बंदर, नेवला और भालू जैसे जंगली जानवर भी देखे जा रहे हैं।

साल के वृक्षों के पुनर्जनन में सफलता

आरआरवीयूएनएल के बागवानी विभाग ने बताया कि साल के पेड़ों के पुनर्जनन के लिए विशेष प्रयास किए गए। विभिन्न विश्वविद्यालयों के बागवानी विशेषज्ञों के साथ मिलकर मई-जून में जंगलों से बीज एकत्र कर नर्सरी में उगाए गए। वर्षों की मेहनत के बाद अब ये पौधे बड़े वृक्षों में बदल चुके हैं। केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुल सचिव ने इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा, “अब यह धारणा कि साल के पेड़ लगाए नहीं जा सकते, पूरी तरह से गलत सिद्ध हो गई है। यह शोध पर्यावरण संरक्षण के लिए मील का पत्थर है।”

स्थानीय समुदाय के लिए रोजगार और विकास के नए द्वार

आरआरवीयूएनएल की यह पहल न केवल पर्यावरण संरक्षण का कार्य कर रही है, बल्कि इससे स्थानीय लोगों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 10,000 से अधिक रोजगार के अवसर भी सृजित हुए हैं।

  • शिक्षा: आदिवासी बच्चों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है। स्मार्ट क्लास, निःशुल्क किताबें और भोजन जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं।
  • स्वास्थ्य: स्थानीय समुदाय अब बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं से लाभान्वित हो रहा है।
  • रोजगार: आदिवासी महिलाएं स्व-सहायता समूहों के माध्यम से आत्मनिर्भर बन रही हैं और आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं।

स्थानीय निवासियों की प्रतिक्रिया

स्थानीय निवासी संतोषी कुर्रे ने कहा, “हमने जो जंगल वर्षों पहले कटते देखा था, अब उसकी जगह एक नया, हरा-भरा जंगल खड़ा हो गया है। यहां साल के पेड़ों की नर्सरी और बड़े-बड़े वृक्ष देखकर हमें विश्वास नहीं हो रहा कि कभी यहां कोयला खदान थी।”

आरआरवीयूएनएल की इस परियोजना ने न केवल सरगुजा में हरियाली को पुनर्स्थापित किया है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास का एक सफल मॉडल बनकर उभरा है।


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