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जिला पंचायत के आरक्षण के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि आने वाले पांच वर्षों तक जिला पंचायत में महिलाओं की राजनीति का दबदबा रहेगा। जिला पंचायत की 17 सीटों में से 10 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित कर दी गई हैं, और यह संख्या और भी बढ़ सकती है यदि स्वतंत्र सीटों पर महिला प्रत्याशी उतरीं।
इस आरक्षण प्रक्रिया के बाद यह सुनिश्चित हो गया है कि जिला पंचायत में महिलाओं का प्रभाव और हिस्सा पहले से कहीं ज्यादा होगा।
महिला आरक्षण की स्थिति: 10 सीटों पर महिलाओं का अधिकार
जिला पंचायत की 17 सीटों में से महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की संख्या 10 है, जो कि आधी आबादी के लिए एक बड़ी जीत है। इनमें ओबीसी, एसटी, एससी, और सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित सीटें शामिल हैं।
- ओबीसी वर्ग: ओबीसी के लिए आरक्षित चार सीटों में से दो सीटें स्वतंत्र हैं, यानी महिला या पुरुष कोई भी उम्मीदवार इन सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं। शेष दो सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व रखी गई हैं।
- एसटी वर्ग: एसटी के लिए तीन सीटें आरक्षित की गई हैं, जिनमें से एक सीट स्वतंत्र है और दो सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं।
- ओबीसी महिला आरक्षण: ओबीसी वर्ग के लिए एक सीट महिला के लिए आरक्षित की गई है।
- सामान्य वर्ग: सामान्य सीटों में से पांच सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की गई हैं, जबकि चार सीटें स्वतंत्र रहेंगी। इन चार स्वतंत्र सीटों पर महिला या पुरुष दोनों ही चुनाव लड़ सकते हैं।
इस प्रकार, ओबीसी, एससी, एसटी और सामान्य के लिए आरक्षित सात सीटें भी स्वतंत्र रखी गई हैं, जिस पर महिला या पुरुष कोई भी उम्मीदवार चुनाव लड़ सकते हैं।
स्वतंत्र सीटों पर भी महिला प्रत्याशियों के लिए अवसर
स्वतंत्र सीटों पर अगर महिला प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरती हैं, तो महिलाओं की संख्या और अधिक बढ़ सकती है। इन स्वतंत्र सीटों पर दोनों लिंगों को चुनाव लड़ने का अधिकार है, लेकिन अगर इन पर महिला उम्मीदवार उतरीं तो महिला सीटों की संख्या 10 से बढ़कर और भी ज्यादा हो सकती है।
इससे यह साफ हो जाता है कि आगामी पंचायत चुनाव में महिलाओं का प्रभुत्व और बढ़ सकता है, और वे जिला पंचायत के निर्णयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
पुरानी स्थिति से बदलाव: महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों में वृद्धि
आरक्षण प्रक्रिया में इस बार पिछले चुनावों के मुकाबले महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की संख्या बढ़ाई गई है। ओबीसी, एसटी, एससी और सामान्य वर्गों के लिए आरक्षित सीटों में महिला आरक्षण को और मजबूत किया गया है, जिससे महिलाओं के लिए ज्यादा अवसर उत्पन्न हो रहे हैं।
2019-20 के मुकाबले 2024-25 में अधिक सीटों पर महिलाओं के लिए आरक्षण तय किया गया है, और इसका प्रभाव आगामी चुनावों में स्पष्ट दिखाई देगा।
राजनीति में महिलाओं की मजबूत भागीदारी
जिला पंचायत के आरक्षण के बाद महिला उम्मीदवारों को मिलने वाली सीटों की संख्या और अधिक बढ़ सकती है, जो महिलाओं की राजनीति में मजबूत भागीदारी को सुनिश्चित करता है।
इस आरक्षण से महिलाओं को उनके अधिकारों की रक्षा करने और पंचायत स्तर पर अधिक प्रभावी भूमिका निभाने का मौका मिलेगा। महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों के कारण अब उनके चुनावी मैदान में उतरने का रास्ता आसान हो गया है, और इस आरक्षण व्यवस्था से उनके राजनीतिक हिस्से को अधिक सशक्त किया गया है।
अब देखना यह है कि आगामी पंचायत चुनाव में महिलाएं कैसे अपनी राजनीतिक ताकत को साबित करती हैं और किस प्रकार से वे सत्ता और निर्णय प्रक्रिया में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
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