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ख्वाजा गरीब नवाज की 850 साल पुरानी दरगाह के खिलाफ अदालती याचिका और पड़ोसी देशों बांग्लादेश एवं पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर दमनकारी नीतियों के विरोध में उसकी देन कमेटी द्वारा एक विशेष बैठक आयोजित की गई।
यह बैठक रमजानी बाबा सामुदायिक रोड में तन्जिमुल उलमाओ कमेटी के सदर कारी गुलाम ईशा की अध्यक्षता में हुई। इसमें हुसैनी मस्जिद के पेश इमाम सैय्यद जाहिर आगा समेत शहर की विभिन्न कमेटियों के पदाधिकारी और मुस्लिम प्रबुद्धजन शामिल हुए।
बैठक का उद्देश्य और चर्चा
बैठक की शुरुआत उसकी देन कमेटी के संयोजक शेख नजीरूद्दीन ने की। उन्होंने निम्न बिंदुओं पर प्रकाश डाला:
- ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह के खिलाफ अदालती कार्रवाई ने देश और विदेश के लाखों श्रद्धालुओं की भावनाओं को आहत किया है।
- बांग्लादेश और पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अन्याय और अत्याचार चिंताजनक और निंदनीय है।
- बैठक में उपस्थित सभी ने इन घटनाओं को सर्वसम्मति से निंदनीय करार दिया।
प्रमुख सुझाव और निर्णय
- बैठक में उपस्थित सदस्यों ने तत्कालिक अप्रिय घटनाओं के खिलाफ कड़ी निंदा व्यक्त की।
- आगामी कार्यों के लिए निम्नलिखित निर्णय लिए गए:
- मौन जुलूस का आयोजन।
- पोस्टकार्ड अभियान चलाकर विरोध दर्ज करना।
- राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपकर ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह के खिलाफ षड्यंत्र करने वालों पर सख्त कार्रवाई की मांग।
- पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार रोकने के लिए केंद्र सरकार से ठोस कदम उठाने की अपील।
उपस्थित प्रमुख सदस्य
इस बैठक में विभिन्न कमेटियों के संरक्षक और सदस्यगण उपस्थित रहे, जिनमें प्रमुख नाम शामिल हैं:
- एस.ए. कादीर, जावेद मेमन, खालिद खान, मकबूल खान, हबीब मेमन, जहूर अली, मुनीर खान (सज्जू)
- खालिक भाई, अबरार भाई, अब्दुल रज्जाक (बड़े), बबली खान, शिबली मेराज, रमजान गौरी, जहांगीर आगा
- सिकंदर गौरी, सैय्यद इरफान, अजहर खान, महफूज खान, दानिश चिश्ती, समीम साबरी, नन्हे साबरी।
निष्कर्ष
इस अहम बैठक में उपस्थित सभी ने ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह के खिलाफ साजिश और पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों की कड़ी निंदा की। साथ ही, सामूहिक विरोध के माध्यम से इन मुद्दों को हल करने का संकल्प लिया गया।
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