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आरटीई में गड़बड़ी का मामला: गरीबों की जगह अमीरों के बच्चों का एडमिशन, हाईकोर्ट ने जांच के दिए निर्देशसाइट हैकिंग की शिकायत, एडमिशन में भारी गिरावट पर कोर्ट ने शासन से मांगी विस्तृत रिपोर्ट

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बिलासपुर। शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत गरीब वर्ग के बच्चों को मिलने वाले एडमिशन में गड़बड़ी की शिकायतों को लेकर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने इस संबंध में राज्य शासन को जांच कर वस्तुस्थिति स्पष्ट करने और विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। मामले की सुनवाई मंगलवार को हुई।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि प्रदेश के कई निजी स्कूलों में RTE की सीटों पर अमीरों के बच्चों को प्रवेश दिया जा रहा है, जबकि असल में यह सुविधा ईडब्ल्यूएस और बीपीएल वर्ग के लिए आरक्षित है। याचिकाकर्ता ने यह भी दावा किया कि RTE की आधिकारिक वेबसाइट को हैक कर एडमिशन में हेरफेर किया गया है। वहीं शासन की ओर से कोर्ट को बताया गया कि अब तक ऐसी कोई शिकायत उनके पास नहीं पहुंची है।

एडमिशन में गिरावट, गड़बड़ियों पर कोर्ट ने उठाए सवाल

याचिका में यह भी बताया गया कि निजी स्कूलों में RTE के तहत केवल तीन प्रतिशत सीटों पर ही एडमिशन हो रहा है, जबकि पिछले वर्ष की तुलना में इस बार करीब 1.25 लाख एडमिशन कम हुए हैं। कोर्ट ने इस पर नाराज़गी जताते हुए सरकार और शिक्षा विभाग से पिछले वर्षों के एडमिशन और रिक्त सीटों की विस्तृत जानकारी मांगी है।

फर्जी प्रवेश और मनमानी पर जताई चिंता

कोर्ट ने हाल ही में लागू नए नियमों, एडमिशन में पारदर्शिता की कमी और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर हुए एडमिशन पर भी स्पष्टीकरण मांगा है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि “प्रारंभिक शिक्षा पाना हर बच्चे का मौलिक अधिकार है। यदि कोई गरीब माता-पिता अपने बच्चे को निजी स्कूल में पढ़ाना चाहता है, तो उसे यह अवसर मिलना ही चाहिए।”

डोनेशन और फीस लेकर भरी जा रही RTE की सीटें

याचिका में बताया गया है कि कई निजी स्कूल RTE के तहत आने वाले आवेदनों को जानबूझकर खारिज कर रहे हैं और फिर इन सीटों को डोनेशन और फीस लेकर भर रहे हैं। स्कूल संचालक 100 मीटर की सीमा का हवाला देकर भी पात्र बच्चों को प्रवेश से वंचित कर रहे हैं।

आरटीआई से सामने आई गड़बड़ी

शिकायतकर्ता सीडी भगवंतराव ने सूचना के अधिकार (RTI) के तहत मिली जानकारी के आधार पर याचिका दाखिल की। उन्होंने बताया कि भिलाई के दो स्कूलों में RTE के तहत दाखिला पाए 39 छात्रों के दस्तावेजों की जांच में पाया गया कि वे स्कूल के हैबिटेशन क्षेत्र के बाहर के निवासी हैं। इसके बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

हाईकोर्ट ने पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए निष्पक्ष जांच के आदेश दिए हैं और आने वाली सुनवाई में सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।


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