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वामपंथ की असली विचारधारा पर डॉ. पवन विजय का सशक्त प्रहार

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प्रख्यात वक्ता एवं राष्ट्रवादी चिंतक डॉ. पवन विजय, जो आई.पी. विश्वविद्यालय, दिल्ली में भारतीय इतिहास और समाज विषय पर अध्यापन कार्य करते हैं, ने वंदे मातरम मित्र मंडल की साप्ताहिक बैठक में अपने विचार व्यक्त किए। यह कार्यक्रम संजीवनी हॉस्पिटल परिसर में आयोजित किया गया, जिसमें उन्होंने सांस्कृतिक मार्क्सवाद और मार्क्स मेनिफेस्टो पर विस्तृत चर्चा की।


वामपंथ की वास्तविक सोच पर डॉ. पवन विजय का प्रहार

वंदे मातरम मित्र मंडल की साप्ताहिक बैठक

डॉ. विजय ने अपने वक्तव्य में कहा, “वामपंथी विचारधारा समाज के निचले तबके को ऊपर उठाने का दावा करती है, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। उनका उद्देश्य केवल जो ऊपर हैं, उन्हें नीचे गिराना होता है।”
उन्होंने कन्हैया कुमार जैसे नव-वामपंथी नेताओं पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ये नेता भारत में वामपंथ की गंदी सोच को फैलाने का कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अब वामपंथी यह समझने लगे हैं कि पूंजीपति वर्ग को उखाड़ फेंकने के लिए घरेलू क्रांतियां व्यावहारिक नहीं हैं, इसलिए वे सांस्कृतिक मार्क्सवाद को अपना रहे हैं।


सांस्कृतिक मार्क्सवाद: एक नई विचारधारा

डॉ. विजय ने कहा कि मार्क्सवाद अब सांस्कृतिक मार्क्सवाद में बदल गया है। उन्होंने अपनी चर्चित पुस्तकें जैसे ‘पूंजीवाद बनाम मार्क्सवाद’, ‘मार्क्सवाद की स्थापना’, ‘सांस्कृतिक मार्क्सवाद का उदय’ आदि का उल्लेख किया।
डॉ. विजय ने समझाया कि वामपंथ का अर्थ होता है, “जो हमेशा उल्टा काम करें। उनकी सोच में राष्ट्रहित, धर्महित सर्वोपरि नहीं हो सकता। वामपंथ समाज और राष्ट्र को तोड़ने और कमजोर करने की बात करता है।”


डॉ. पवन विजय: साहित्य, समाजशास्त्र और शिक्षाविद्

डॉ. पवन विजय उत्तर आधुनिक विमर्श के लिए जाने जाते हैं। उनके साहित्य का प्रमुख पहलू समाज के हाशिए पर खड़े लोगों की भावनाओं, उपलब्धियों और वंचनाओं का विश्लेषण है।
उन्होंने ‘बोलो गंगापुत्र’ और ‘फरवरी नोट्स’ जैसे उपन्यास लिखे हैं। उनकी काव्य रचना ‘कस्तूरी उस घाट मिलेगी’ और ग्राम जीवन पर आधारित पुस्तक ‘जोगी बीर’ को पाठकों ने खूब सराहा है। डॉ. विजय के 40 से अधिक शोधपत्र विभिन्न सेमिनार और शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं।


समाजहित में वंदे मातरम मित्र मंडल का आह्वान

वामपंथ की असली विचारधारा पर डॉ. पवन विजय का सशक्त प्रहार

वंदे मातरम मित्र मंडल के संयोजक महेंद्र जैन ने समाज के सभी वर्गों को राष्ट्रहित और धर्महित में सर्वोच्च समर्पण भाव से कार्य करने की अपील की।
सतनामी जन जागृति सेवा समिति के अध्यक्ष पंडित विद्या शंकर भारद्वाज ने कहा, “सतनामी और हिंदू एक हैं और राष्ट्रहित में हिंदू समाज के साथ हर तरह के समर्पण के लिए तैयार हैं।”


कार्यक्रम की गरिमामयी उपस्थिति

कार्यक्रम में नगर के बुद्धिजीवी और सामाजिक संगठनों के सदस्य बड़ी संख्या में उपस्थित थे। अतिथियों का शाल, श्रीफल और स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किया गया।
डॉ. संजना तिवारी, संचालक, संजीवनी हॉस्पिटल को भी स्मृति चिन्ह भेंट कर आभार व्यक्त किया गया।
कार्यक्रम में मंच पर डॉ. पवन विजय, प्रदीप देशपांडे, डॉ. प्रफुल्ल शर्मा, महेंद्र जैन, और विद्या शंकर भारद्वाज उपस्थित रहे।


राष्ट्रहित में गीत, शपथ और संचालन

कार्यक्रम का संचालन प्रफुल्ल मिश्रा ने किया। संघ गीत जय प्रकाश लाल ने प्रस्तुत किया और शपथ का कार्य राजेश जायसवाल ने किया।


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