स्टोर कीपर बना रजिस्ट्रार, हाईकोर्ट ने लगाई रोक

Listen to this article

सीनियर चिकित्सा अधिकारी ही हो सकता है रजिस्ट्रार

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने फार्मेसी कौंसिल के रजिस्ट्रार की नियुक्ति को लेकर राज्य सरकार के विवादित आदेश पर रोक लगा दी है। जस्टिस एनके चंद्रवंशी की सिंगल बेंच ने सुनवाई के बाद आदेश और उसके क्रियान्वयन पर रोक लगाई। याचिका इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के चेयरमैन व कौंसिल के सदस्य डॉ. राकेश गुप्ता ने दायर की थी।


क्या है मामला?

याचिकाकर्ता डॉ. गुप्ता ने अपनी याचिका में बताया कि वह छत्तीसगढ़ मेडिकल कौंसिल के निर्वाचित सदस्य और छत्तीसगढ़ फार्मेसी कौंसिल के नामित सदस्य हैं। फार्मेसी कौंसिल एक्ट के प्रावधानों के तहत रजिस्ट्रार का पद सीनियर रिटायर्ड चिकित्सा अधिकारी को दिया जाना चाहिए।

हालांकि, राज्य सरकार ने इन नियमों को दरकिनार करते हुए स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत तृतीय श्रेणी स्टोर कीपर अश्वनी गुरदेकर को रजिस्ट्रार के पद पर नियुक्त कर दिया।


मेंबर को हटाने का अधिकार नहीं

अधिवक्ता संदीप दुबे ने कोर्ट में दलील दी कि रजिस्ट्रार ने नियमों का उल्लंघन करते हुए फार्मेसी कौंसिल के सदस्य को उनके पद से हटाने का आदेश जारी किया। रजिस्ट्रार ने आरोप लगाया कि सदस्य लगातार तीन बैठकों में अनुपस्थित रहे।

कानून के मुताबिक, किसी सदस्य को हटाने के लिए सामान्य सभा की बैठक बुलानी होती है। बैठक में उपस्थित सदस्यों के बहुमत से निर्णय लिया जाता है। रजिस्ट्रार को यह अधिकार नहीं है कि वह सदस्य को हटाने का आदेश जारी करें।


हाईकोर्ट का हस्तक्षेप

याचिकाकर्ता की दलीलों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार के विवादित आदेश और उसके क्रियान्वयन पर रोक लगा दी। कोर्ट ने माना कि यह आदेश फार्मेसी कौंसिल एक्ट और नियमों के विपरीत है।


नियमों के विपरीत नियुक्ति

फार्मेसी कौंसिल एक्ट के अनुसार, कौंसिल में 15 सदस्य होते हैं, जिनमें 6 इलेक्टेड और 6 नामित सदस्य शामिल होते हैं। सभी फैसले सामान्य सभा की बैठक में बहुमत के आधार पर लिए जाते हैं।

रजिस्ट्रार का पद सीनियर रिटायर्ड चिकित्सा अधिकारी के लिए आरक्षित है। एक्ट में स्पष्ट प्रावधानों के बावजूद राज्य सरकार ने नियमों का उल्लंघन करते हुए स्टोर कीपर को यह जिम्मेदारी सौंप दी।


नियुक्ति पर सवाल

यह मामला राज्य सरकार की नियमों और प्रावधानों के प्रति लापरवाही को उजागर करता है। हाईकोर्ट के हस्तक्षेप ने इस विवादित आदेश पर रोक लगाकर कानून के पालन को सुनिश्चित किया है।

यह प्रकरण आगे फार्मेसी कौंसिल में पारदर्शिता और नियमों के सख्त अनुपालन की आवश्यकता को रेखांकित करता है।


Discover more from VPS Bharat

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Related Posts

फर्जी नियुक्ति पत्र के जरिए करोड़ों की ठगी: चार आरोपी गिरफ्तार, गिरोह का पर्दाफाश

Listen to this article सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर फर्जी नियुक्ति पत्र थमाकर 26 बेरोजगारों से 1 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी करने वाले गिरोह का पुलिस ने भंडाफोड़ किया है। सिविल लाइन पुलिस ने गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया है और इनके पास से 13 लाख रुपये नकद,…

हाईकोर्ट का सख्त निर्देश: स्कूलों और सार्वजनिक स्थलों पर नशे की बिक्री पर रोक

Listen to this article राज्य सरकार को ठोस कदम उठाने का आदेश छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्कूलों और सार्वजनिक स्थलों पर नशे के सामान की बिक्री को सख्ती से रोकने का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस एके प्रसाद की डिवीजन बेंच ने कोटपा एक्ट (COTPA Act) के प्रावधानों का कड़ाई…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *