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हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का महत्व

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हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और वैकुंठ लोक की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी व्रत करने से व्यक्ति को न केवल सभी पापों से मुक्ति मिलती है, बल्कि मनवांछित फल की प्राप्ति भी होती है।

जनवरी 2025: पुत्रदा और षटतिला एकादशी

जनवरी के महीने में दो प्रमुख एकादशी व्रत हैं – पुत्रदा एकादशी और षटतिला एकादशी।

पुत्रदा एकादशी: 10 जनवरी

  • महत्व: इसे वैकुंठ एकादशी भी कहा जाता है। इस व्रत को रखने से व्यक्ति को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
  • तिथि विवरण:
    • एकादशी की शुरुआत: 9 जनवरी सुबह 10:52 बजे।
    • समाप्ति: 10 जनवरी सुबह 8:49 बजे।
    • व्रत: 10 जनवरी 2025 को रखा जाएगा।

षटतिला एकादशी: 25 जनवरी

  • महत्व: इस व्रत से व्यक्ति को सारे पापों से मुक्ति मिलती है और आत्मिक शुद्धि होती है।
  • तिथि विवरण:
    • एकादशी की शुरुआत: 24 जनवरी शाम 5:55 बजे।
    • समाप्ति: 25 जनवरी शाम 7:01 बजे।
    • व्रत: 25 जनवरी 2025 को रखा जाएगा।

एकादशी व्रत की महिमा

धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि एकादशी व्रत का पालन करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को एकादशी व्रत की महिमा बताते हुए कहा था कि इसके पुण्य से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

पूजा-विधि और आराधना

एकादशी व्रत के दिन व्रती भगवान विष्णु की लक्ष्मी माता संग विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन व्रत रखकर ध्यान और भक्ति में लीन होने से व्रती को आत्मिक संतोष और पुण्य फल प्राप्त होता है।

ध्यान दें: एकादशी व्रत रखने वाले भक्तों को अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए और पूरे दिन भगवान विष्णु के नाम का जाप करना चाहिए।


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