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रेलवे ग्रुप डी भर्ती परीक्षा में आंसरशीट से छेड़छाड़ का मामला सामने आने के बाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की याचिका खारिज कर दी। बिलासपुर निवासी हरि बाबू को दोषी पाए जाने पर रेलवे ने चयन प्रक्रिया से बाहर कर दिया था।
भर्ती प्रक्रिया और आंसरशीट में विसंगति
हरि बाबू ने 10 जून 2012 को रेलवे की लिखित परीक्षा दी थी। शारीरिक दक्षता परीक्षा और दस्तावेज़ सत्यापन में सफल होने के बाद भी, अंतिम चयन सूची में उनका नाम नहीं था। आरटीआई के जरिए जानकारी मिली कि उनकी ओएमआर शीट की मूल और कार्बन कॉपी में 23 प्रश्नों के उत्तर अलग-अलग थे, जिसे रेलवे ने छेड़छाड़ माना।
कैट ने पहले ही खारिज की थी याचिका
याचिकाकर्ता ने रेलवे के फैसले को जबलपुर कैट में चुनौती दी थी। लेकिन कैट ने रेलवे के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी। इसके बाद हाईकोर्ट में पुनः याचिका दायर की गई।
रेलवे का पक्ष
रेलवे ने अदालत में दलील दी कि ओएमआर शीट की प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बनाया गया था। परीक्षार्थियों को परीक्षा से पहले ओएमआर शीट का नमूना उपलब्ध कराया गया और परीक्षा के दौरान स्पष्ट निर्देश दिए गए। याचिकाकर्ता के मामले में 23 प्रश्नों के उत्तरों में विसंगतियां पाई गईं, जिससे छेड़छाड़ का संकेत मिलता है।
कोर्ट का निर्णय
डिवीजन बेंच, जिसमें जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस बीडी गुरु शामिल थे, ने पाया कि याचिकाकर्ता ने मूल आवेदन में तीन साल की देरी की थी। कोर्ट ने कहा कि कैट ने सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद सही निर्णय दिया था। ओएमआर शीट्स की जांच में भी कोई अनियमितता नहीं पाई गई।
निष्कर्ष
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता की दलीलें कमजोर हैं और रेलवे की प्रक्रिया में कोई खामी नहीं थी। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए मामले को समाप्त कर दिया।
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