
👇 खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं
फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र के सहारे सरकारी नौकरी प्राप्त करने वालों के खिलाफ छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए बड़ा आदेश जारी किया है।
कोर्ट ने राज्य के सभी संदिग्ध कर्मचारियों को 20 अगस्त 2025 तक राज्य मेडिकल बोर्ड से दिव्यांगता का अनिवार्य परीक्षण कराने के निर्देश दिए हैं। जो कर्मचारी परीक्षण नहीं कराएंगे, उन्हें कारण बताना होगा — अन्यथा उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
⚖️ कोर्ट की सख्ती: अधिकारी भी तलब
हाईकोर्ट ने सभी विभागों के इंचार्ज अधिकारियों को 20 अगस्त को कोर्ट में स्वयं उपस्थित रहने को कहा है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर उनके विभाग के संदिग्ध कर्मचारी मेडिकल जांच नहीं कराते, तो अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जाएगी।
🧑💼 किनकी नियुक्तियों पर सवाल?
हाईकोर्ट में दर्ज सूची के अनुसार, कई विभागों में कार्यरत कर्मचारियों के नाम सामने आए हैं, जिनमें शामिल हैं:
- शिक्षा विभाग: मनीषा कश्यप, टेक सिंह राठौर, मनीष राजपूत, नरहरी सिंह राठौर, राकेश सिंह राजपूत
- कृषि विभाग: प्रभा भास्कर, अमित राज राठौर, धर्मराज पोर्ते, सुरेन्द्र कश्यप, गुलाब सिंह राजपूत, निलेश राठौर सहित दर्जनों ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी
- श्रम, उद्यान, पंचायत विभाग: सतीश नवरंग, राजीव कुमार तिवारी, सत्यप्रकाश राठौर आदि
📍 लोरमी ब्लॉक बना फर्जीवाड़े का गढ़
मुंगेली जिले का लोरमी ब्लॉक इस पूरे फर्जीवाड़े का मुख्य केंद्र बनकर उभरा है। सारधा, सुकली, झाफल, फुलझर जैसे गांवों से बड़ी संख्या में फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र जारी किए गए। अकेले कृषि विभाग में 53 लोग ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के पद पर तैनात हैं।
🔍 3 साल से उठा रहा था दिव्यांग संघ मुद्दा

दिव्यांग संघ पिछले तीन वर्षों से इस घोटाले को उजागर कर रहा था। उनका आरोप है कि कई असली दिव्यांगों को दरकिनार कर, फर्जी प्रमाणपत्र वालों को नौकरी दी गई।
📌 हाईकोर्ट की चेतावनी
हाईकोर्ट ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि दिए गए समय तक मेडिकल परीक्षण नहीं कराया गया, तो संबंधित कर्मियों और अधिकारियों के विरुद्ध कठोर विधिक कार्रवाई की जाएगी।
Discover more from VPS Bharat
Subscribe to get the latest posts sent to your email.