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प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय बिलासपुर की मुख्य शाखा टेलीफोन एक्सचेंज रोड स्थित राजयोग भवन में “रक्षक फिजिकल अकैडमी” के अभ्यार्थियों के लिए आयोजित “सेल्फ मोटिवेशन” कार्यक्रम में प्रमुख वक्ता बीके स्वाति दीदी ने जीवन में मोटिवेशन के महत्व को समझाया और इसके साथ-साथ दिर्घायु और मानसिक शांति के लिए महत्वपूर्ण संकल्पों की गति को धीमा रखने पर जोर दिया।
सेल्फ मोटिवेशन और लक्ष्य निर्धारण
बीके स्वाति दीदी ने कार्यक्रम के दौरान कहा, “जीवन में लक्ष्य तय करना बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन उसे प्राप्त करने का तरीका उतना ही महत्वपूर्ण है।” उन्होंने उदाहरण दिया कि जैसे यदि किसी कुल्हाड़ी से पेड़ को काटते समय उसकी धार को तेज न किया जाए, तो सफलता की गति धीमी होती जाती है। इसी प्रकार, शारीरिक स्वास्थ्य और व्यायाम की नियमितता के बावजूद अगर मन को स्वस्थ रखने की कोई कोशिश नहीं की जाती, तो सफलता के मार्ग में बाधाएं आ सकती हैं।
संकल्पों की गति और दिर्घायु का रहस्य
दीदी ने सड़क सुरक्षा माह के संदर्भ में मन की गति पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने बताया कि जैसे तेज गति से चलने वाली कार दुर्घटना का कारण बन सकती है, वैसे ही जीवन में अगर संकल्पों की गति अत्यधिक होती है, तो वह हमारे जीवन में नकारात्मक परिणाम ला सकती है। दिर्घायु रहने के लिए संकल्पों की गति को धीमा रखना अत्यंत आवश्यक है।
बाज के उदाहरण से आत्मनिर्भरता की सीख
बीके स्वाति दीदी ने बाज के उदाहरण के माध्यम से बताया कि बाज कभी भी मरे हुए जानवर को नहीं खाता। वह हमेशा अपने लिए नया शिकार करता है। दीदी ने कहा, “हमें दूसरों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, बल्कि खुद पर भरोसा रखना चाहिए और निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए।” साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि हमें अपने पुराने पैटर्न और आदतों को छोड़कर नए दृष्टिकोण अपनाने चाहिए, जैसे बाज अपनी पुरानी पंखों को खुद खींचकर बाहर निकालता है।
सफलता की राह में चुनौतियां और एकाग्रता
दीदी ने बताया कि सफलता प्राप्त करने के लिए विपरीत परिस्थितियों का सामना करना जरूरी है। किसी भी नई चुनौती का सामना करते समय घबराने की बजाय उसे अपनी सफलता के लिए एक कदम और बढ़ने के रूप में देखना चाहिए। सफलता की राह में हमें अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलना पड़ेगा और एकाग्रता व निरंतरता से काम करना होगा।
रक्षक फिजिकल अकैडमी के अभ्यार्थियों के अनुभव
रक्षक फिजिकल अकैडमी के संचालक पूर्व आर्मी अधिकारी कृष्णा सिंह ने कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और कहा कि वह लंबे समय से ब्रह्माकुमारीज से जुड़ने के इच्छुक थे, और आज यहाँ आकर उन्हें मानसिक शांति मिली है। उन्होंने कहा कि बच्चों को जीवन में असफल होने के बाद कमजोर नहीं पड़ना चाहिए और सफलता के शिखर तक पहुंचने के लिए कठिन परिश्रम से पीछे नहीं हटना चाहिए।
कार्यक्रम का समापन
कार्यक्रम में बीके स्वाति दीदी ने अंत में राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास कराया और सभी अभ्यार्थियों ने इसका भरपूर लाभ लिया। बीके संतोषी दीदी ने कार्यक्रम का कुशल मंच संचालन किया, जबकि अंजू दुआ बहन ने आभार प्रदर्शन किया। इस कार्यक्रम में 50 से अधिक अभ्यार्थी, जो विभिन्न रक्षा सेवाओं और डिफेंस जॉब्स के लिए तैयारी कर रहे हैं, ने भाग लिया।
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