सरगुजा के कोरिया क्षेत्र स्थित गुरु घासीदास नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व घोषित करने की प्रक्रिया पर हाईकोर्ट ने संतोष व्यक्त करते हुए जनहित याचिका निराकृत कर दी है। राज्य शासन की ओर से जानकारी दी गई कि अधिसूचना जारी कर यह प्रक्रिया पूरी कर ली गई है।
लंबे समय से अटकी थी प्रक्रिया
- 2014 में पहली और 2022 में अंतिम स्वीकृति मिलने के बावजूद राज्य सरकार ने इसे टाइगर रिजर्व घोषित नहीं किया था।
- पिछली सरकार का मानना था कि इस क्षेत्र में खनिज भंडार और घने जंगल हैं।
- टाइगर रिजर्व बनने से खनन पर प्रतिबंध लग सकता था, जिससे आर्थिक संकट गहराने की आशंका थी।
- 2012 में सैद्धांतिक निर्णय लेकर तत्कालीन सरकार ने प्रस्ताव एनटीसीए (राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण) को भेजा था।
जनहित याचिका और कोर्ट की कार्रवाई
पर्यावरण कार्यकर्ता अजय दुबे ने एडवोकेट हर्षवर्धन के माध्यम से याचिका दायर की थी।
- 12 साल से चल रही प्रक्रिया में देरी पर कोर्ट ने शासन को निर्देशित किया था।
- पिछली सुनवाई में 4 सप्ताह का अंतिम समय दिया गया था।
- शासन ने कोर्ट को बताया कि गुरु घासीदास नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व घोषित करने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है।
कोर्ट ने इस जवाब पर संतोष जताते हुए जनहित याचिका को निराकृत कर दिया।
देश का तीसरा सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व
- गुरु घासीदास नेशनल पार्क और तमोर पिंगला सेंचुरी को मिलाकर टाइगर रिजर्व बनाया गया है।
- यह क्षेत्रफल के हिसाब से देश का तीसरा सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व है।
- कांग्रेस सरकार में मामला फंसा था, क्योंकि यह क्षेत्र कोल ब्लॉक, ऑइल ब्लॉक और मिथेन गैस ब्लॉक से समृद्ध है।
- अब इसे टाइगर रिजर्व घोषित कर वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है।
कोर्ट का निर्णय और सरकार की पहल
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने शासन की अधिसूचना पर संतोष जताते हुए कहा:
“इस टाइगर रिजर्व की घोषणा पर्यावरण संरक्षण और वन्यजीवों के संरक्षण में महत्वपूर्ण साबित होगी।”
महत्वपूर्ण बिंदु
- 2012: सैद्धांतिक निर्णय लिया गया।
- 2014 और 2022: एनटीसीए ने स्वीकृति दी।
- 2024: अधिसूचना जारी कर टाइगर रिजर्व घोषित।
- खनिज भंडार: क्षेत्र के खनिज संसाधन प्रक्रिया में देरी का कारण बने।
- सफल पहल: अब गुरु घासीदास नेशनल पार्क देश के सबसे बड़े टाइगर रिजर्व में शामिल हो गया है।
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