निगम के शपथपत्र से हाईकोर्ट असंतुष्ट, जिम्मेदार अधिकारी को किया तलब

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अरपा नदी संरक्षण पर हाईकोर्ट गंभीर

अरपा नदी के उद्गम स्थल के संरक्षण को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई में हाईकोर्ट ने नगर निगम द्वारा प्रस्तुत शपथपत्र से असंतोष व्यक्त किया है। गुरुवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और उनकी डिवीजन बेंच ने अगली सुनवाई में जिम्मेदार अधिकारी को उपस्थित होने का निर्देश दिया है, जो यह स्पष्ट कर सके कि गंदे पानी के ट्रीटमेंट के लिए वास्तविक योजना क्या है।


नगर निगम ने प्रस्तुत किया शपथपत्र

सुनवाई के दौरान बिलासपुर नगर निगम आयुक्त अमित कुमार ने हाईकोर्ट को जानकारी दी कि नदी में गंदा पानी जाने से रोकने के लिए मंगला और कोनी में तीन एसटीपी प्लांट (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) लगाए गए हैं। आयुक्त ने बताया कि इन प्लांट्स की अलग-अलग क्षमता है, जो मिलकर गंदे पानी को ट्रीट करेंगे, ताकि वह नदी में न जाए।

इसके साथ ही राज्य शासन ने उद्गम स्थल के लिए हो रहे भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया और बजट स्वीकृति का विवरण भी प्रस्तुत किया।


हाईकोर्ट की असहमति

हाईकोर्ट ने नगर निगम आयुक्त के शपथपत्र को अपर्याप्त मानते हुए नाराजगी जाहिर की। चीफ जस्टिस ने कहा कि अगली सुनवाई में निगम के ऐसे जिम्मेदार अधिकारी को पेश किया जाए, जो यह स्पष्ट कर सके कि गंदे पानी के ट्रीटमेंट के लिए क्या कार्ययोजना बनाई जा रही है और इसे कैसे अमल में लाया जाएगा। अगली सुनवाई 10 दिसंबर को निर्धारित की गई है।


यह है मामला

अरपा नदी के संरक्षण और प्रदूषण से मुक्त करने के लिए एडवोकेट अरविंद शुक्ला और रामनिवास तिवारी ने अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर की हैं। याचिकाओं में कहा गया है कि अरपा नदी में गंदा पानी लगातार मिल रहा है, जिससे नदी प्रदूषित हो रही है।

साथ ही, पेंड्रा स्थित अरपा नदी के उद्गम स्थल का संरक्षण और संवर्धन भी अत्यावश्यक है। पूर्व में हुई सुनवाई में शासन ने भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू करने और संबंधित प्रस्ताव तैयार करने की जानकारी दी थी।


सीवरेज प्लानिंग अभी अधूरी

नगर निगम ने कोर्ट को बताया कि सीवरेज प्लानिंग के लिए कंसल्टेंट नियुक्त किया गया था, लेकिन अभी इस योजना को अंतिम रूप नहीं दिया गया है। सीवरेज की निकासी रोकने और नदी को साफ रखने के लिए फंड की स्वीकृति का प्रस्ताव भी शासन को भेजा गया है।


निष्कर्ष: हाईकोर्ट का यह कदम अरपा नदी को प्रदूषण मुक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति है। आने वाली सुनवाई में नगर निगम से अपेक्षा की जा रही है कि वह ठोस कार्ययोजना के साथ नदी संरक्षण की अपनी जिम्मेदारी स्पष्ट करे।


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