हाईकोर्ट ने पत्नी द्वारा आत्महत्या करने की बार-बार धमकी देने और प्रयास करने को क्रूरता माना है। इस आधार पर पति को तलाक की अनुमति देते हुए कोर्ट ने कहा कि ऐसी स्थिति में कोई भी जीवनसाथी शांति से नहीं रह सकता। पति द्वारा उपलब्ध साक्ष्यों से स्पष्ट है कि पत्नी बार-बार आत्महत्या की धमकी देती थी।
दुर्ग जिला निवासी याचिकाकर्ता पति की 28 दिसम्बर 2015 को बालोद निवासी युवती के साथ चर्च में शादी हुई। पत्नी शादी के बाद निजी कॉलेज में जॉब करने लगी। उसे 22 हजार रुपए वेतन मिलता था। इसमें से 10 हजार रुपये अपने माता पिता को भेजती थी। पति ने इस पर कभी आपत्ति नहीं की। पत्नी ने कुछ दिन अपने भाई को भी साथ रखा। भाई किसी कारण से वापस चला गया। इसके बाद पत्नी का व्यवहार बदल गया। बात बात में वह आत्महत्या करने की धमकियां देने लगी।
कभी नशीला सिरप पीया तो कभी छत से कूदी
पहली बार उसने रसोई में घुस कर दरवाजा बंद कर गैस चालू कर जल मरने की धमकी दी। दूसरी बार अत्यधिक मात्रा में नशीला कफ सिरफ पी कर खुदकुशी की कोशिश की। इसके बाद एक बार उसने छत से कूद कर आत्महत्या का प्रयास किया। इस पर पति ने परिवार न्यायालय में तलाक के लिए आवेदन दिया। न्यायालय से आवेदन खारिज होने पर पति ने हाईकोर्ट में अपील प्रस्तुत की। वही पत्नी ने भी वैवाहिक अधिकार की बहाली के लिए याचिका प्रस्तुत की।
साथ रहना मुश्किल तो अलगाव उचित
दोनों की याचिका पर जस्टिस रजनी दुबे एवं संजय कुमार जायसवाल की डीबी में सुनवाई हुई। सुनवाई उपरांत कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि बार-बार आत्महत्या करने की धमकी देना क्रूरता के समान है।साथ ही अगर यह आशंका पैदा हो जाए कि दूसरे पक्ष के साथ रहना उसके लिए हानिकारक होगा तो साथ रहना मुश्किल है।
फरवरी 2018 से दोनों अलग अलग रह रहे हैं। पत्नी के आचरण को देखते हुए मानसिक दबाव में पति का उसके साथ रहना सम्भव नहीं है। कोर्ट ने क्रूरता के आधार पर पति के तलाक की याचिका को स्वीकार किया। कोर्ट ने पति को दो माह के अंदर पत्नी को 5 लाख रुपए स्थाई गुजारा भत्ता एक मुश्त देने का निर्देश भी दिया है।
Discover more from VPS Bharat
Subscribe to get the latest posts sent to your email.