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पवित्रता और श्रेष्ठ कर्म ही पूज्यता की पहचान: बीके गायत्री

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बिलासपुर, शिव अनुराग भवन, राजकिशोर नगर में आयोजित सकारात्मक सोच (Positive Thinking) की क्लास में बीके गायत्री ने अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि आज की दुनिया में अपवित्रता और नैतिक मूल्यों के पतन के कारण समाज में अनेक समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, जैसे अशांति, अराजकता और गरीबी।

परमात्मा का संदेश

बीके गायत्री ने कहा कि परमात्मा हमें कौड़ी से हीरा बनाने आए हैं। उनकी शिक्षा से भारत फिर से सतयुग की सुख-शांति से परिपूर्ण दुनिया बनेगा। परमात्मा ही पूरे विश्व में शांति की स्थापना कर सकते हैं।

पवित्रता और श्रेष्ठता का महत्व

  • पवित्रता ही व्यक्ति को पूज्य बनाती है।
  • पूज्य वही आत्मा बनती है जो सदा श्रेष्ठ कर्म करती है।
  • पवित्रता केवल शारीरिक ब्रह्मचर्य तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संकल्प, वाणी, और कर्म में भी परिलक्षित होनी चाहिए।
  • नकारात्मकता का त्याग, सभी के साथ समान और सकारात्मक संबंध, और मंशा-वाचा-कर्मणा में पवित्रता की पूर्णता ही आत्मा को पूज्य बनाती है।

सकारात्मक सोच की शिक्षा

कार्यक्रम में यह भी बताया गया कि सकारात्मक सोच से जीवन में संतुलन और शांति बनी रहती है। यह हमारे कार्यों और संबंधों को उन्नत बनाने में सहायक होती है।

बीके गायत्री के इन विचारों ने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को पवित्रता और श्रेष्ठ कर्म के महत्व को समझने और उसे जीवन में अपनाने की प्रेरणा दी।


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