गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय शैक्षिक प्रकोष्ठ की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ
गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (केंद्रीय विश्वविद्यालय) नैक से ए़़ ग्रेड प्राप्त विश्वविद्यालय एवं अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (एबीआरएसएम) के सहयोग से विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग द्वारा विकसित भारत /2047 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी-2020) की भूमिका विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन किया गया। यह कार्यशाला विश्वविद्यालय के रजत जयंती सभागार में आयोजित हुई, जिसमें देश भर के शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञ, शिक्षक और शैक्षिक संस्थानों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. आलोक कुमार चक्रवाल जी ने कहा कि सिर्फ बात से राष्ट्र का विकास नहीं होगा। हमें काम जमीनी स्तर पर करना होगा। गुरु घासीदास विश्वविद्यालय एनईपी: 2020 की प्रमुख प्रयोगशाला है। विश्वविद्यालय ने एनईपी की दिशा में अनेक कार्य किए हैं। कई नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। विश्वविद्यालय स्वाभिमान थाली योजना के तहत प्रतिदिन एक हजार जरुरतमंद छात्र-छात्राओं को भोजन करा रहा है।
सुदामा योजना के तहत 80 लाख रुपए एकत्र किए गए हैं। इससे आर्थिक रूप से पिछड़े विद्यार्थियों की मदद की जा रही है। हमारे विश्वविद्यालय के छात्र उद्यमिता की ओर आगे बढ़ रहे हैं। भविष्य में वे नौकरी लेने वाले नहीं, देने वाले होंगे। उन्हांेने इस कार्यशाला के महत्व पर जोर देते हुए कहा, यह कार्यशाला एनईपी-2020 को लागू करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। कुलपति ने कहा कि हमारी चिंता विश्वविद्यालय को वैश्विक स्तर पर नम्बर वन विश्वविद्यालय बनाने की है।
मुख्य अतिथि के रूप में अखिल भारतीय राष्ट्रीय संगठन मंत्री महेंद्र कपूर ने कहा कि सबके सहयोग से ही भारत एक विकसित राष्ट्र हो सकता है। हम सभी को मिलकर उस दिशा में कार्य करना होगा। विश्वविद्यालय तीर्थ स्थल जैसा है उसकी पूजा की जाए तो हर व्यक्ति विद्वान निकलेगा। एक दिन में कोई बड़ा कार्य नहीं होता है धीरे-धीरे करने से सफलता मिलती है।
मुख्य वक्ता एवं एबीआरएसएम के अध्यक्ष प्रोफेसर नारायण दास गुप्ता ने कहा कि शिक्षा व संस्कृति के जरिए ही भारत को विकसित किया जा सकता है। ज्ञान व अर्थ व्यवस्था को अलग नहीं कर सकते। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का जिक्र करते हुए कहा कि हमारा देश में सबसे बड़ी युवा शक्ति है जो आने वाले समय भारत को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे।
पुनरुत्थान विद्यापीठ की कुलपति प्रोफेसर इंदुमती काटदरे ने कहा भारत को भारत रहने दें।
भारत में विश्व गुरु बनने की पूरी क्षमता है। राष्ट्र, राष्ट्रीय और राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अंतर समझना जरूरी है। लोकमान्य तिलक ने भी 1919 में एनईपी की बात कही थी। एनईपी में एन न्यू है नेशनल यह हमें समझना होगा। देश, समाज और अर्थव्यवस्था यूनिवर्सिटी के आधार पर चलना चाहिए। विश्व भारत को गुरु मानने के लिए तैयार है।
विशिष्ट अतिथि एवं सौराष्ट्र विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति प्रो. नीलाम्बरी दवे ने चाणक्य की बात को दोहराते हुए कहा कि प्रलय व निर्माण शिक्षक की गोद में पलते हैं। इसलिए शिक्षक ऐसा रास्ता दिखाए कि छात्र सफलता के मुकाम हासिल कर सके।
अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की महासचिव प्रो. गीता भट्ट ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शिक्षा के जरिए ही विकसित भारत बनने की कल्पना कर सकते हैं।
मंचस्थ अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर मां सरस्वती एवं बाबा गुरु घासीदास जी के चित्र पर पुष्प अर्पित किये। तत्पश्चात मंचस्थ अतिथियों को नन्हा पौधा भेंट कर स्वागत किया गया। इस अवसर पर स्मारिका एवं शैक्षिक मंथन पत्रिका का विमोचन भी किया गया। कार्यकम के समन्वयक एवं सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. आर.के प्रधान रहे। मंचस्थ अतिथियों को स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मान किया गया।
अंत में धन्यवाद ज्ञापन प्रभारी कुलसचिव प्रो. एचएन चैबे ने किया तथा संचालन डॉ. प्रिंसी मतलानी ने किया। इस अवसर पर विभिन्न विद्यापीठों के अधिष्ठातागण, विभागाध्यक्षगण, अधिकारीगण, शिक्षणगण एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। तरंग बैंड के छात्र- छात्राओं ने सरस्वती वंदना एवं कुलगीत प्रस्तुत किया। अंत में राष्ट्रगान के साथ उद्घाटन समारोह सम्पन्न हुआ।
कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य एनईपी-2020 के माध्यम से भारत को 2047 तक एक सशक्त और विकसित राष्ट्र बनाने के लिए शिक्षा प्रणाली के विकास और सुधार की दिशा में सकारात्मक योगदान देना है। इस कार्यक्रम में शैक्षिक नीति के
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